नई दिल्ली केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने नक्सलियों के खिलाफ चल रहे साझा अभियान को नया मंत्र दे दिया है। कुछ महीनों पहले तक नक्सलियों को उनके गढ़ में घुस कर मारने की बात कर रहे गृह मंत्री ने अब सतर्कता को प्राथमिकता बताया है। साथ ही उन्होंने इस अभियान में लगे सभी केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों और नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस प्रमुखों को निर्देश भी दिए हैं कि इस अभियान में आपसी तालमेल को लेकर कोई कोताही कतई बर्दाश्त न की जाएगी।
नक्सल विरोधी साझा अभियान की समीक्षा बैठक में गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने केंद्रीय बलों और राज्य पुलिस के प्रमुखों से कहा कि यह लड़ाई तुरंत खत्म होने वाली नहीं। उनके खिलाफ लंबे समय तक मोर्चा खोलने के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए बेहद जरूरी है कि विभिन्न राज्यों में तैनात केंद्रीय बलों के जवान अभियान के दौरान अपनाई जाने वाली मानक प्रक्रिया [एसओपी] का पूरी गंभीरता से पालन करें। इसी तरह केंद्रीय बल और राज्य पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को तालमेल में पूरी सतर्कता रखनी होगी।
सोमवार को हुई इस च्च्च स्तरीय बैठक में केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों ने इन अभियानों में विभिन्न राज्यों में अपने बलों की जरूरतों की भी चर्चा की। बैठक में शामिल एक अधिकारी के मुताबिक खास कर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल [सीआरपीएफ] के जवानों को कई जगह रहने के लिए कमरों, पीने के पानी, शौचालय जैसी समस्या आ रही है। इसके लिए सभी राज्यों में जरूरतों की अलग-अलग सूची तैयार की गई है। राज्यों ने इन जरूरतों को तुरंत पूरा करने का भरोसा दिलाया है।
बैठक के बाद छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक विश्व रंजन ने कहा कि राज्य और तालमेल को ले कर कोई समस्या नहीं रह गई है। उनके मुताबिक सीआरपीएफ के नए महानिदेशक इस मामले में खुद बेहद सक्रिय हैं। इसी तरह झारखंड के पुलिस महानिदेशक नियाज अहमद ने कहा कि अभियान से जुड़ी जरूरतों पर हमने आपस में चर्चा की है।
मरहम लगाने खुद कश्मीर जाएंगे चिदंबरम
नई दिल्ली, गृह मंत्री पी. चिदंबरम जम्मू-कश्मीर में शांति और विश्वास बहाली के कई उपायों के साथ जल्दी ही राज्य के दौरे पर जाने वाले हैं। इसमें अलगाववादियों को बातचीत का नए सिरे से प्रस्ताव भी शामिल होगा। उनके इस दौरे से पहले इस मामले पर सुरक्षा संबंधी मामलों की कैबिनेट समिति [सीसीएस] में इस पर विचार किया जाना है।
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री का यह दौरा राज्य के लिए गठित किए गए वार्ताकारों के दल की रिपोर्ट की रोशनी में होगा। इनके मुताबिक इस दौरे का सबसे अहम मकसद विभिन्न पक्षों को बातचीत के लिए आगे लाने की कोशिश होगी। साथ ही वे इस दौरान विश्वास बहाली के कई उपायों का ऐलान भी करेंगे। इन उपायों को राज्य सरकार के साथ मिल कर अमल में लाया जाएगा।
गृह मंत्रालय के अधिकारी कहते हैं प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद विश्वास बहाली के उपायों को लेकर अब तक हुई प्रगति के अलावा सीसीएस की बैठक में नए प्रस्तावों पर भी चर्चा की जाएगी। इसमें राज्य पुलिस को ज्यादा साधन और ट्रेनिंग मुहैया करवाने पर जोर दिया जाएगा। साथ ही दिलीप पडगांवकर के नेतृत्व में बनाए गए वार्ताकारों के दल की ओर से सौंपी गई ताजा रिपोर्ट में सुझाए गए उपायों पर भी चर्चा की जाएगी। इस रिपोर्ट में कश्मीर समस्या के राजनीतिक समाधान की व्यापक रूपरेखा प्रस्तावित की गई है।
उपायों में घाटी के नौजवानों के खिलाफ पत्थरबाजी के लिए दर्ज किए गए मामलों की सुनवाई तेजी से किए जाने, जिन लोगों के खिलाफ गंभीर मामले नहीं हैं, उन्हें जेल से छोड़ दिए जाने जैसे कदम शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त राज्य के नौजवानों के लिए रोजगार के मौके बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया जाएगा। वार्ताकारों के दल ने अपनी रिपोर्ट में राज्य के लोगों की भावना को सम्मान दिया जाना बेहद जरूरी बताया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें