सोमवार, 3 जनवरी 2011

नेपाल के रास्ते भारत में जाली नोटों की खेप पहुंच रही है।

गोरखपुर खुली सीमा से नेपाल के रास्ते भारत में जाली नोटों की खेप पहुंच रही है। लगातार मिल रहे जाली नोटों से सुरक्षा एजेंसियों एवं पुलिस विभाग के कान खड़े हो गए हैं।

सूत्रों के अनुसार भारत-नेपाल सीमा जाली नोटों के कारोबारियों के लिए मुफीद जगह बन चुकी है। नोटों की खपत के लिए सिंडीकेट कभी उत्तर प्रदेश को तो कभी उत्तराखंड के सीमाई जिलों को सेंटर बना रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो काठमांडू में बैठा आईएसआई एजेंट मुस्ताक भैरहवा, बढ़नी, बीरगंज आदि मार्गो से भारतीय क्षेत्र में जाली नोट भेज रहा है। इसमें काठमांडू स्थित पाकिस्तानी बैंक की भूमिका भी संदिग्ध बतायी जा रही है। पाकिस्तान में छपे भारतीय नकली नोट काठमांडू स्थित इसी बैंक व पाक दूतावास के माध्यम से भारतीय क्षेत्र में भेजे जाते हैं।

सोमवार को बाराबंकी में एसटीएफ के हाथ चढ़े आईएसआई एजेंट वसीम के पास से बरामद दस हजार के जाली करेंसी ने एकबार फिर सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी एवं आईएसआई गतिविधियों को चर्चा में ला दिया है। बीते 13 दिसंबर को सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, गोरखपुर मुख्य शाखा के करेंसी चेस्ट मे सौ एवं पांच सौ रुपये के दस-दस नोट यानी छह हजार रुपए मिलने के संबध में बैंक की तरफ से मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। पंजाब नेशनल बैंक के करेंसी चेस्ट में भी जाली नोट मिल चुके हैं।

सबसे बड़ा मामला 29 जुलाई 2008 को भारतीय स्टेट बैंक की डुमरियागंज शाखा के करेंसी चेस्ट से बरामद 4.25 करोड़ के जाली नोटो का है। इसमें लिप्त आबिद शेख व बैंक कर्मी सुधाकर त्रिपाठी जेल की सजा काट रहे हैं।

बीते सितंबर माह में सिद्धार्थनगर जिले के खेसरहा पुलिस ने पौने दो लाख के जाली नोटों के साथ प्रेमी युगल को गिरफ्तार किया था।

चार जून 2010 को बढ़नी रेलवे स्टेशन पर ढेबरुआ पुलिस ने एक लाख के नकली नोटों के साथ जाली नोटों के बड़े सौदागर कन्हैया लाल गुप्ता को गिरफ्तार किया। अभी 15 नवंबर को नेपाल के पर्वत जिले में 16.46 लाख की जाली भारतीय करेंसी के साथ अशोक साह तथा खेम बहादुर थापा पकड़े जा चुके हैं।
3-1-2011

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