बुधवार, 19 जनवरी 2011

लिंग भेद आधारित भ्रूण हत्या पर होगीं सख्ती, हर जिले में बिटिया क्लब बनेंगे

लिंग भेद आधारित भ्रूण हत्या पर होगीं सख्ती, हर जिले में बिटिया क्लब बनेंगे
भ्रूण हत्या और परीक्षण के प्रकरणों के निराकरण के लिये हर जिले में दो वकील नियुक्त होंगे
भोपाल 19 जनवरी 2011। लिंगभेद आधारित भ्रूण हत्या पर सख्ती से रोक लगाने के लिये एक ओर जनजागरूकता लाने और प्रेरित करने के लिये सभी जिलों में बिटिया क्लब बनाये जायेंगे और भ्रूण परीक्षण पर सख्ती से रोक लगाने के लिये निरंतर निगरानी व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जायेगा और लंबित प्रकरणों को त्वरित गति से निपटाने के लिये हर जिले में दो वकील नियुक्त किये जायेंगे। यह निर्णय लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष राज्य मंत्री श्री महेन्द्र हार्डिया की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम (पीसीएण्डपीएनडीटी एक्ट) के अंतर्गत गठित राज्य सुपरवाईजरी बोर्ड की बैठक में लिये गये। बैठक में विधायक श्रीमती नीना वर्मा, आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं श्री जे.एन. कंसोटिया एवं प्रबंध संचालक राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन श्री मनोहर अगनानी उपस्थित थे।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री हार्डिया ने बैठक में कहा कि लिंगभेद आधारित भ्रूण परीक्षण हमारे समाज के लिये शर्मनाक है। इस पर हमें सामूहिक प्रयासों के माध्यम से रोक लगाना होगी। उन्होंने कहा कि इस पर प्रभावी रोक के लिये सतत निगरानी व्यवस्था को सशक्त बनाना होगा। श्री हार्डिया ने कहा कि भ्रूण परीक्षण और हत्या के मामले में जो भी लंबित प्रकरण हैं उनको त्वरित गति से निराकरण की व्यवस्था की जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिये हर जिले में दो ऐसे वकीलों को नियुक्त करने को कहा जो इसके प्रति संवेदनशील हों और जिनकी समाज सेवा में रूचि हो। श्री हार्डिया ने कहा कि अगर हमने इन प्रकरणों का निराकरण करके दोषियों को सख्त सजा दिलाई तो इससे दूसरे लोगों के सामने उदाहरण होगा और लोग इसके प्रति हतोत्साहित होंगे।
बैठक में भ्रूण परीक्षण और हत्या के मामलों के शत-प्रतिशत निराकरण की समय-सीमा 31 मार्च 2011 निर्धारित की गई। पीसीएण्डपीएनडीटी एक्ट के मामलों की मॉनीटरिंग कर 15 दिन में रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिये गये। बैठक में यह भी तय किया गया कि जिलों में बिटिया क्लब बनाये जिसके सदस्य ऐसे दम्पत्ति हों जिनकी सिर्फ एक ही बेटी हो। बेटी वृद्ध अवस्था का भी सहारा होती है। इस तरह के प्रेरक प्रसंग इसके माध्यम से समाज के सामने लाये जायें ताकि लड़कियों के प्रति समाज के नजरिये में बदलाव आये। बैठक में जनजागरूकता लाने के लिये धर्म गुरू, जाति तथा समुदाय आधारित अभियान चलाने के भी निर्देश दिये गये।

Date: 19-01-2011

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