माउस पर क्लिक करें और जाने विकास की जमीनी हकीकत
माउस पर क्लिक करें और जाने विकास की जमीनी हकीकत (बीते वर्ष की अच्छी खबर-जियोग्राफिकल इन्फर्मेशन सिस्टम)
ग्रामीण विकास के बाद अन्य विभाग भी जुड़ेंगे इस सिस्टम से
भोपाल 1 जनवरी 2011। माउस पर क्लिक कीजिए और देखिए कि सरकार की योजनाओं की मैदानी हकीकत क्या है। बीते वर्ष में मध्यप्रदेश शासन कि यह एक ऐसी उपलब्धि है जो पूरे भारत वर्ष में पहली है, इसके लिए भारत सरकार ने राज्य सरकार को पुरस्कृत भी किया। सुशासन की यह तकनीक है जी गवर्नेस। जी याने गुड और इसका ही दूसरा आशय जियोग्राफिकल गवर्नेंस है।
वर्ष 2010 में जब मध्यप्रदेश के बावन हजार गांवों के संपूर्ण चित्र को इस तकनीक से जोड़ा गया तो भारत सरकार ने भी इसे सराहा, क्योंकि देश में अपनी तरह का यह पहला जियोग्राफिकल इनफर्मेशन सिस्टम है जो माउस पर क्लिक करते ही प्रदेश के किसी भी गांव का खाका आपके सामने रख देता है । इससे आने वाले दिनों में विकास जमीन पर हुआ कि नहीं इसकी मॉनीटरिंग भोपाल के मंत्रालय, सतपुड़ा, विन्ध्याचल सहित अन्य मुख्यालयों में कमरे में ही बैठकर देखा जा सकेगा।
जियोग्राफिकल इन्फर्मेशन सिस्टम मूल रूप से ग्रामीण विकास विभाग के लिए बनाया गया। राष्ट्रीय सूचना केन्द्र के तकनीकी निदेशक श्री विवेक चितले के नेतृत्व में जब यह साफ्टवेयर क्रियान्वित हुआ तो प्रशासनिक गलियारे ने इसे हाथों हाथ लिया। आज यह सिस्टम वन और उर्जा विभाग में भी क्रियान्वित हो रहा है।
ग्रामीण विकास विभाग की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को इस सिस्टम के माध्यम से मॉनिटर किया जा रहा है और पैकेज बनाए जा रहे है। आई जियो एप्रोच के इस सिस्टम से आज प्रदेश में कौन सा गांव प्रधानमंत्री ग्राम सड़क से जुड़ा है वहां कितने कि.मी. सड़क का निर्माण होना है, कितनी बन चुकी है, कांट्रेक्टर कौन है, कंसलटेंट कौन है, कितना पैसा व्यय हो चुका है, कितने लागत की है और सड़क की स्थिति क्या इसका फोटो सिर्फ माउस पर क्लिक करने मात्र से आपको कम्प्यूटर पर दिख जाएगा। कम्प्यूटर पर इस सिस्टम के माध्यम से यह भी पता चल जाएगा कि उस गांव की आबादी कितनी है, गांव में कितना वन क्षेत्र है और वहां संचार की कौन सी व्यवस्था है। चिन्हित गांव रेल से जुड़ा है कि नहीं यह भी पता चलता है इस सिस्टम के जरिए।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में इसके सफल प्रयोग के बाद अब इस सिस्टम को मुख्यमंत्री सड़क योजना अर्थात ग्राम संपर्क सड़क योजना से भी जोड़ा जा रहा है । इस सिस्टम से एक सबसे बड़ी मदद यह मिलती है कि भोपाल में बैठकर अब आप सड़क या कोई भी योजना बनाते है तो उसे आप उस गांव की जरूरत के मुताबिक बना सकेंगे। इसके माध्यम से आप एक जिले से जुड़े गांवों में विकास की स्थिति भी जान सकेंगे। भोपाल में विभिन्न विभागों के मुख्यालय जमीनी स्तर से योजनाओं के क्रियान्वयन की रिपोर्ट आने वाले दिनों में इस नए सिस्टम से चेक कर सकेंगे।
राष्ट्रीय सूचना केंद्र के निदेशक श्री विवेक चितले बताते हैं कि हमारा केन्द्र मध्यप्रदेश सरकार के लिए वे एक 'स्टेट जियो स्पेशल इन्फ्रास्ट्रेक्चर' साफ्टवेयर बना रहा हैं। एसजीएसआई नामक यह सिस्टम विकसित हो गया तो सरकार के सभी विभाग सीधे जमीनी हकीकत को सिर्फ एक माउस पर क्लिक करने से जान सकेंगे। इस सिस्टम की एक सबसे बड़ी विशेषता यह है सूचना प्रौद्योगिकी की विश्व की सबसे उच्च तकनीक का इसमें हस्तेमाल किया गया है।
Date: 01-01-2011 Time: 17:28:06
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