मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

नेपाल में शाही परिवार की हत्या को भारत जिम्मेदार!Dec 28, 09:16 pm


काठमांडू। नेपाली राजघराने के एक पूर्व कर्मचारी ने अपनी किताब में भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राजमहल के सैन्य सचिव रह चुके बिबेक शाह के अनुसार नौ साल पहले राजघराने में हुए हत्याकांड के लिए कहीं न कहीं भारत भी जिम्मेदार है।

यद्यपि उन्होंने स्वीकार किया है कि इस हत्याकांड को राजकुमार दीपेंद्र ने ही अंजाम दिया था, लेकिन उन्हें 'विदेशी ताकतों' ने उकसाया था।

शाह का दावा है कि भारत के खिलाफ कई खुफिया जानकारियां पता लगने के बाद उन्हें इस्तीफा देने को कहा गया था। अपनी किताब 'मेले देखियो दरबार' [राजमहल, जैसा मैंने देखा] में उन्होंने लिखा है कि भारत ने नेपाल के राजतंत्र विरोधी माओवादियों को हथियारों का प्रशिक्षण दिया था।

शाह ने सोमवार रात को एक चैनल में टॉकशो पर अपनी किताब के संबंध में खुल कर बात की। शाही हत्याकांड में मारे गए राजा बीरेंद्र सिंह का बुधवार को 65वां जन्मदिन है। इस दिन शाह अपनी पुस्तक का लोकार्पण करेंगे।

गौरतलब है कि नौ साल पहले 1 जून, 2001 में राजकुमार दीपेंद्र ने अपने परिवार के सभी नौ सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी थी और बाद में खुद को खत्म कर लिया था। सामूहिक हत्या के कारणों को लेकर अब भी विवाद बना हुआ है। इस विवाद को शाह ने फिर हवा दे दी है।

नेपाली सेना में जनरल रह चुके शाह ने बताया कि राजा बीरेंद्र नेपाली सेना के पुराने शस्त्रागार को आधुनिक बनाना चाहते थे। इसके लिए वो शस्त्र बनाने वाली विदेशी कंपनी के साथ बात कर रहे थे। जबकि भारत नहीं चाहता था कि नेपाल उससे ज्यादा आधुनिक हथियार खरीदे। साथ ही यह चिंता भी थी कि कहीं हथियार माओवादियों के हाथ में न पड़ जाएं।

इस संबंध में बातचीत के लिए राजा बीरेंद्र और ज्ञानेंद्र दोनों भारत के दौरे पर गए थे। उस दौरान भारतीय नेताओं ने उन पर स्वदेशी हथियार सस्ते दामों पर खरीदने के लिए दबाव डाला था। बाद में भारत नेपाली सेना को 70 फीसदी सब्सिडी पर हथियारों की आपूर्ति करने लगा था।

बिबेक शाह ने लिखा है कि नेपाल की सशस्त्र पुलिस ने उत्तराचंल की छावनी चक्राता में भी प्रशिक्षण लिया था। उस दौरान भारतीय प्रशिक्षक और स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया था कि यहां पहले भी कई देशों के समूह प्रशिक्षण ले चुके हैं। उनका दावा है कि भारत ने श्रीलंका के विद्रोही समूह 'लिट्टे' और बांग्लादेश के मुक्ति सेना को भी प्रशिक्षण दिया था।

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