बुधवार, 22 दिसंबर 2010

दवा खरीदी मामले में स्वास्थ्य विभाग फिर कटघरे में

दवा खरीदी मामले में स्वास्थ्य विभाग फिर कटघरे में
भोपाल, 22 दिसंबर 2010। प्रदेश सरकार में शायद ही ऐसा कोई विभाग होगा जिससे जनता संतुष्ट होगी। आए दिन कोई न कोई विभाग की लापरवाही सामने आती ही रहती है। हाल की घटना प्रदेश के होशंगाबाद जिले की है जिसमें प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर दवा खरीदी मामले में कटघरे में है। क्योंकि इस जिले के ग्रामीणों को दवाएं ही नहीं मिल पा रही है, जबकि विभाग द्वारा दवा वितरण कागजों में बराबर दिखाया जाता है।
इन गांवों में ग्रामीणों को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों तक ले जाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं को सौंपी गई है, किन्तु न ही आशा कार्यकर्ताओं को महीनों से किसी प्रकार का भत्ता दिया गया, न ही बीमार लोगों को देने के लिये दवाएं ही। होशंगाबाद जिले के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने नाम न बताते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने प्रावधान तो किया है कि आशा कार्यकर्ताओं को आवश्यक 15 प्रकार की दवाएं (जिनमें पेटदर्द, सिरदर्द, उल्टी, दस्त एवं बुखार आदि की अक्सर लगने वाली दवाएं शामिल हैं) दी जाएंगी। इसके अलावा थर्मामीटर के साथ ही रक्तचाप नापने के उपकरण भी देने का प्रावधान है, किन्तु यह सब कागजों में है। इन आशा कार्यकर्ताओं की दवाएं स्वास्थ्य केंद्रों से दिए जाने का नियम स्वास्थ्य विभाग ने बनाया है। पिछले दिनों ग्रामीणों ने वहां के स्वास्थ्य अधिकारियों से भी शिकायतें की कि आशा कार्यकर्ताओं के पास मात्र एकाध बीमारी की दो-चार गोलियां रहती हैं। उधर, कुछ आशा कार्यकर्ताओं ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों से ब्लाक मेडिकल आफीसर उन्हें यह कहते हैं कि केंद्र में ही दवाएं नहीं हैं तो वे उन्हें कहां से दें। स्वास्थ्य विभाग ने आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण भी दिया, पर वे प्रशिक्षण लेकर गांव जाएंगी भी तो क्या करेंगी, जब न उन्हें चिकित्सा उपकरण, न दवाएं मिलेंगी। आशा कार्यकर्ताओं की ब्लाक में स्थिति यह है कि आज की तारीख में होशंगाबाद जिले के ब्लाक बनखेड़ी, पिपरिया, सोहागपुर, बाबई, सुखतवा, डोलरिया एवं सिवनी मालवा में कुल 1068 प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता है। होशंगाबाद जिले के कार्यक्रम अधिकारी मनोज द्विवेदी कहते हैं कि आशा कार्यकर्ताओं को ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं के लिए रखा गया है, लेकिन कोई और काम मिलता है तो वे यह काम छोड़ देती हैं। उधर, स्वास्थ्य संचालनालय के एक अधिकारी कहते हैं कि जिलों में अधिकार देने के बाद भी वहां के जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी न समय पर दवाएं खरीदते हैं, न ही उन्हें सही ढंग से बंटवाते हैं।

Date: 22-12-2010 Time: 17:10:10





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