शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

श्री ब्रजधाम चौरासी कोस की ब्रजयात्रा


श्री बिहारिणे नमः
श्री ब्रजधाम चौरासी कोस की ब्रजयात्रा
(43 वी ब्रजधाम यात्रा)
श्री बिहारी जी महाराज के परम अनुकम्पा से वृन्दावनधाम से श्री गोरेदाऊजी वैष्णवदास सेवा ट्रस्ट परिक्रमा मार्ग वृन्दावन द्वारा शाके 1932 सुदी 2 सं. 2067 तदनुसार 7.11.2010 रविवार को पूज्यचरण साकेतवासी श्री श्री 108 श्री भक्तमाली जी महाराज, महन्त श्री वैष्णवदास जी महाराज एवं श्री हरीदासजी महाराज की कृपा से श्री महन्त प्रहलाददास जी महाराज की अध्यक्षता में 43 वीं ब्रजधाम यात्रा प्रारम्भ होनी थी, इस यात्रा के प्रारम्भ में श्री महन्त प्रहलाददास जी ने यात्रा प्रारम्भ करने में अपनी असमर्थता व्यक्त की यात्रा की विगत 42 वर्षों की परम्परा भंग न हो इस पर वहॉ पर उपस्थित पूज्य गोरेदाऊजी के शिष्य/ भक्तगणों को अत्यन्त दुख हुआ चूंकि बहुत सारे भक्त यात्रा करने के उद्देश्य से वृन्दावन आश्रम में पधार चुके थे । गोरेदाऊजी के शिष्यों/भक्तगणों से परामर्श एवं महंत प्रहलाददास जी की सहमति से साकेतवासी महंत श्री हरीदासजी गोरेदाऊजी के प्रिय शिष्य श्री रामकृपा सेवाधाम ए-24 गोघूलिपुरम वृन्दावन के श्री बनवारीदास जी महाराज के द्वारा उस परिक्रमा को विधिवत् चालू रखने का संकल्प लिया यात्रा का क्रम भंग न हो इसलिये महाराज श्री बनवारीदास ने उक्त यात्रा को प्रारंभ रखने का संकल्प लेकर यात्रा पूर्व समयानुसार जारी रखने की तय किया तथा यात्रा विधिवत् 08.11.2010 से प्रारम्भ हुई । यात्रा 26 दिवस की है इसमें लगभग 425 कि.मी. यात्रा तय करनी होती है। यह यात्रा वृन्दावन अक्रूर दर्शन, बिरला मंदिर, कृष्णजन्मभूमि, लवंणासुर गुफा, मथुरा, मधुवन, शान्तिवन, गोवर्धन, डींग, खोह, अलीपुरा, केदारनाथ (बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री) कामवन बरसाना, नन्दगॉव कोसीकंला, नगरिया, शेरगढ़, चीरघाट, मंद्रवन, भीमगॉव (व्याहुला वंशीवट श्रीदामा) राया (मान सरोवर) बल्देव दाउजी दर्शन क्षीरसागर गोकुल (साक्षी गोपाल ब्रहृण्डघाट, ऊखलबंधन चौरासी खम्मा, पूतनावध, रमणरेती मथुरा भूतेश्वर महादेव, करते हुये वृन्दावन वापिस आती है। इस 43 वर्ष चौरासी कोस परिक्रमा में यात्रा की एवं साधुसंतो का स्थान-स्थान पर भव्य स्वागत किया गया जिसमें साधु संतो एवं भक्तगणों को आनंद की अनुभूति होती हे । यात्रा में भक्तगण अपने भाग्य की सराहना करते हैं कि भगवान ने उन्हें इस यात्रा के लिए योग्य समझकर शुभ अवसर प्रदान किया , उसके लिए ईश्वर की कृपा ही सर्वोपरि हैं । तभी ऐसी यात्रा करने का अवसर प्राप्त होता है । यह यात्रा प्रतिवर्ष दीपावली की द्वितीया तिथि से प्रारंभ होता है । इस यात्रा के सुचारू संचालन में एवं शुरू करने में प्रमुख रूप से श्री बनवारीदास जी महाराज का उल्लेखनीय योगदान रहा । इनके सहयोग में श्री पं. ब्रजबिहारीजी महाराज श्री शिरोमणि महाराज जी, श्री मनीष जी महाराज तथा अन्य प्रकाण्ड श्रेष्ठ आचायों ने अपना विद्वता का परिचय देकर यात्रा सुखद सरल एवं पवित्र बनाये रखने मे सहयोग अतुलनीय रहा । परिक्रमा का समापन 2.12.2010 को गोरेदाऊजी आश्रम महंत श्री प्रहलाद दास जी के आश्रम में यात्रा का स्वागत तथा भक्तों को प्रसाद भंडारा कराया बया। दिनांक 3.12.2010 को वृन्दावन की प्ररिक्रमा करा कर यात्रा का समापन किया गया। इस 43 वीं परिक्रमा में भोपाल मध्यप्रदेश से समाचार पत्र के प्रधान संपादक तथा झरनेश्वर नागरिक सहकारी बैंक के संस्थापक / संचालक डॉ. मनमोहन कुरापा शामिल हुयें तथा यात्रा का सुखद अनुभव प्राप्त किया । यात्रा में दिल्ली से पधारे श्री दयानंद अग्रवाल, श्रीमती मायादेवी जी अग्रवाल इन्दौर, प्रेमचंदजी मेहरचंद जी गोयल पलवल आदि एवं प्रबुद्व नागरिक तथा सर्वहारा वर्ग के लोग निःशुल्क शामिल हुयें । इस यात्रा में लगभग 2000 भक्त शामिल हुयें यात्रा में पलवल से पधारे वैध पं दुलीचंद शास्त्री द्वारा भक्तगणों का निःशुल्क दवाईयों से इलाज किया गया जो कि यात्रा के सुगम एवं स्वस्थय बनाने में सहायक सिद्व हुआ । सम्पर्क सूत्र:
कार्यवाहन संचालक
बाबा श्री बनवारीदास महाराज जी
जी-ए-24, गोधुलिपुरम कालौनी, अटलवन

वृदांवन उत्तरप्रदेश
मोबाईल - 9627186826

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