शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

औद्योगिक विकास निगम के बकायादारों से राशि वसूली के लिये सभी संभव वैधानिक, प्रशासनिक कार्रवाई होगी

औद्योगिक विकास निगम के बकायादारों से राशि वसूली के लिये सभी संभव वैधानिक, प्रशासनिक कार्रवाई होगी
बकायादारों को ब्लेक लिस्टेड करने के साथ ही धोखाधड़ी के प्रकरण भी दायर होंगे,
राशि वसूली के प्रकरणों की तेजी से सुनवाई के लिये विशेष अदालत बनेगी, मुख्यमंत्री चौहान ने दिये निर्देश
भोपाल 23 दिसंबर 2010। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राज्य औद्योगिक विकास निगम के बकायादारों से राशि वसूली के लिये सभी संभव वैधानिक और प्रशासनिक कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में निगम द्वारा औद्योगिक समूहों को वितरित ऋण और ब्याज की राशि की वसूली की समीक्षा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभी बकायादारों के प्रकरणों के लिये विशेष अदालत गठित कर प्रकरणों की तेजी से सुनवाई के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत के गठन के संबंध में एक पखवाड़े के अंदर मंत्रि-परिषद के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाये।
श्री चौहान ने निगम द्वारा बकायादारों से वसूली की अब तक की गई कार्रवाई को नाकाफी बताया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विभिन्न स्तर के न्यायालयों में दाखिल प्रकरणों में निगम के पक्ष की समुचित पैरवी में लापरवाही न की जाये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बकायादारों के विरूद्ध दायर प्रकरणों में न्यायालयों द्वारा जारी किये जा रहे वारण्टों की हर हाल में तामीली पर जोर दिया। श्री चौहान ने कहा कि इस संबंध में संबंधित एजेंसियों से सतत् सम्पर्क के साथ ही साप्ताहिक समीक्षा कर अद्यतन स्थिति की जानकारी उन्हें निरंतर दी जाये।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निगम के बकायादार औद्योगिक समूहों को ब्लेक लिस्टेड करने के साथ ही विधिक परामर्श के बाद उन पर धोखाधड़ी इत्यादि के प्रकरण भी दायर करने के निर्देश दिये। श्री चौहान ने कहा कि बकायादारों से राशि की वसूली के वैधानिक और प्रशासनिक प्रयासों में कोताही नहीं होना चाहिये।
बैठक में जानकारी दी गई कि निगम की सितम्बर 2009 की स्थिति में 29 औद्योगिक समूहों के विरूद्ध कुल 2192.43 करोड़ रूपये की राशि बकाया है। इस राशि में 296.10 करोड़ का मूल धन और 1896.33 करोड़ रूपये की ब्याज राशि शामिल है।
बैठक में बताया गया कि 31 मार्च 2010 की स्थिति में निगम के मुख्य बकायादार औद्योगिक समूहों में ई.एन.बी. (श्री प्रफुल्ल माहेश्वरी और श्री संदीप माहेश्वरी) समूह पर 417.55 करोड़, अल्पाइन (श्री जम्बू और श्री सतीश भण्डारी) समूह पर 275.56 करोड़, रूईया समूह (स्वर्गीय श्री बी.आर. और श्री टी.बी. रूईया) पर 271.91 करोड़, ईशर समूह (श्री गुरूचरण और श्री सरबजीत सिंह) पर 155.43 करोड़, जीके. एक्जिम समूह (श्री दिलीप कुमार और श्री जी.के. राठी) पर 152.12 करोड़, ए.ई.सी. समूह (श्री आर.डी. और श्री एस.आर. आप्टे) पर 95.99 करोड़, भानु आयरन लिमिटेड (श्री अनूप और श्री बी.के. बिश्नोई) पर 95.92 करोड़, सिद्धार्थ ट्यूब्स लिमिटेड (श्री नैनेश संघवी और श्री आर.पी. गुप्ता) पर 93.02 करोड़, रिट्सपिन सिंथेटिक्स (श्री नरेन्द्र कुमार और श्री मनीष कुमार) पर 69.53 करोड़, माया स्पिनर्स लिमिटेड (श्री एस.एस. चौधरी) पर 14.44 करोड़, बी.एस.आई. लिमिटेड (श्री योगेश और श्री किरण वाधवाना) पर 14.48 करोड़, पसुमई इरीगेशन (श्री आनन्द पी. फ्रेडरिक) पर 16.05 करोड़, सोम समूह (श्री जगदीश और श्री अजय अरोड़ा) पर 140.57 करोड़ और गजरा समूह (श्री सुरेन्द्र सिंह गढ़ा) पर 16.38 करोड़ रूपये की राशि बकाया है। बैठक में उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मुख्य सचिव अवनि वैश्य, प्रमुख सचिव वित्त जी.पी. सिंहल, प्रमुख सचिव विधि ए.के. मिश्रा, प्रमुख सचिव वाणिज्य और उद्योग और निगम के प्रबंध संचालक पी.के. दास, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव दीपक खांडेकर और सचिव एस.के. मिश्रा उपस्थित थे।

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