शनिवार, 25 दिसंबर 2010

मंत्रालय की सख्ती से ननि के आला अफसर बगले झांकने को मजबूर

मंत्रालय की सख्ती से ननि के आला अफसर बगले झांकने को मजबूर
भोपाल, 25 दिसंबर 2010। वल्लभ भवन की सख्ती ने भोपाल नगर निगम के आला अधिकारियों को बगले झांकने को मजबूर कर दिया। क्योंकि अभी तक नगर निगम के अधिकारी ननि द्वारा कराये जा रहे कार्यों का अनाप-शनाप खर्च बताते रहे हैं लेकिन इस बार मंत्रालय ने ऐसी सख्ती बरती की उनके होश ही उड़ गए।
प्रदेश सचिवालय स्थित भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग ने भोपाल नगर निगम को पाबंद किया है कि वह एक ही मद में एक ही स्थान से धन अर्जित करे, न कि विभिन्न विभागों, संस्थाओं और केंद्र शासन से राशि प्राप्त कर एक कार्य पूरा करने का ब्यौरा सभी को सौंपे। मंत्रालय के इस रुख से यह साफ है कि भोपाल नगर निगम में विभिन्न निकायों से पैसे बटोरकर एक ही काम पूरा कर डालने का खेल खेल जाता रहा है, लेकिन हाल-फिलहाल सचिवालय गहराई से इस गोरखधंधे की तह में जाता नहीं दिख रहा है, लेकिन फौरी तौर पर उसने निगम को 128 करोड़ 50 लाख रुपए पाने से रोक दिया है।
निगम ने प्रभावित क्षेत्रों में शुद्ध जल की आपूर्ति हेतु उक्त भारी-भरकम राशि की योजना बनाकर पेश की थी। उसने यह कारस्तानी तब की, जबकि भारत शासन इसके लिये 50 करोड़ रुपए उबलब्ध करा चुका है। लिहाजा वल्लभ भवन में जब भोपाल नगर निगम की उपरोक्त मांग पर ॰ष्टिपात किया गया तो मंत्रालयीन अधिकारियों के सामने संदेह के बादल मंडरा गए। उन्होंने निगम अफसरों को तलब किया तो भारत शासन की जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण योजना के तहत स्वीकृत 14 करोड़ 18 लाख रुपए की राशि के कार्य संपन्न करने और अब कोई राशि शेष न होने का दावा पेश कर दिया गया। बाद में मंत्रालयीन अफसरों ने सख्ती बरती तो नगर निगम ने एक अरब 28 करोड़ 50 लाख रुपए की विराट योजना से 73 करोड़ 29 लाख रुपए स्वयं ही कम कर महज 55 करोड़ 21 लाख की योजना नए सिरे से तैयार कर दी। बहरहाल, भोपाल नगर निगम की संदेहों से भरी इस कवायद से मंत्रालय ने केंद्र के सामने राज्य की छवि को बट्ट लगने की संभावना काफी हद तक कर दी है, वहीं निगम द्वारा किए गए तत्विषयक कार्यों के आकलन परीक्षण की उम्मीद प्रबल हो गई है।

Date: 25-12-2010 Time: 18:12:28





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