बुधवार, 22 दिसंबर 2010

गुर्जरों को विशेष आरक्षण नहीं दिया जा सकता और 2008 के एक अधिनियम में इस बारे में कोई पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं, जो आरक्षण को न्यायसंगत ठहरा सकें।


आंदोलन कर रहे गुर्जरों को एक झटका देते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने बुधवार को इस बात को बरकरार रखा कि समुदाय के सदस्यों को सरकारी नौकरियों में कोई विशेष आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति महेश भगवती की खंडपीठ ने कहा कि गुर्जरों को विशेष आरक्षण नहीं दिया जा सकता और 2008 के एक अधिनियम में इस बारे में कोई पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं, जो आरक्षण को न्यायसंगत ठहरा सकें।

न्यायाधीशों ने कहा कि इसलिए इन्हें आरक्षण देने का कोई भी कदम किसी तरह लागू नहीं किया जा सकता।

अदालत ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह गुर्जरों, रायका, रायबारी और गाड़िया लुहार समुदाय के लोगों की शिक्षा और सरकारी नौकरियों में पिछड़ापन साबित करने का काम एक साल के भीतर पूरा करे।

प्रदेश के गुर्जर नौकरियों में आरक्षण समेत अपनी माँगों को लेकर दो दिन से आंदोलन कर रहे हैं। अशोक गहलोत सरकार ने कहा था कि वह इस गतिरोध को खत्म करने के उद्देश्य से बातचीत के लिए तैयार है। अदालत ने इसके पहले आरक्षण पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि यह 50 फीसदी की सीमा से उपर जा रहा है।

अपना आंदोलन तेज करने की धमकी देते हुए गुर्जरों नेता किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा था कि जब तक हमारी माँगें पूरी नहीं होंगी, हम पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। गुर्जरों के आंदोलन के कारण भरतपुर जिले में रेल और सड़क यातायात प्रभावित हो रहा है।

राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण प्रकरण को खारिज करने से नाखुश होकर गुर्जर समाज से दिल्ली में दूध की आपूर्ति तुरंत रोकने और राजस्थान में राष्ट्रीय राज मार्गो और रेल मार्ग को जाम करने का ऐलान किया है।

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