
लखनऊ।। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में फैसले की तरह ही जजों की टिप्पणियां भी दोनों समुदायों को समझ
दारी दिखाने की नसीहत दे रही हैं। फैसला सुनाते हुए जस्टिस एस.यू. खान ने चेताया कि यदि 6 दिसंबर 1992 की घटना दोहराई जाती है, तो देश फिर दोबारा खड़ा नहीं हो पाएगा। उन्होंने दोनों पक्षों को भगवान राम के त्याग और पैगंबर मोहम्मद की सहिष्णु प्रकृति की याद दिलाई।
जस्टिस खान ने कहा, ' हमें याद रखना चाहिए कि ऐसी घटनाएं बार-बार न हों। एक बार और ऐसा हुआ तो हम खड़े नहीं हो पाएंगे। 1992 की तुलना में आज दुनिया काफी तेजी से आगे बढ़ रही है। हमें कुचला जा सकता है। '
अपने 285 पेज के फैसले में उन्होंने दोनों समुदायों के बीच आपसी मेल-मिलाप पर जोर दिया, ताकि दुनिया में जीवित रहा जा सके। उन्होंने ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन का हवाला देते हुए कहा, ' केवल वही प्रजातियां जीवित रहीं , जिन्होंने सहयोग और सुधार किया। '
उन्होंने कहा, ' हाई कोर्ट का फैसला इस विवाद में अंतिम शब्द नहीं है और काफी कठिन घड़ी इसके बाद आएगी , इसलिए मैं दोनों पक्षों को कुछ चीजें याद दिलाता हूं। भगवान राम की महान चारित्रिक विशेषताओं में से एक त्याग है। साथ ही जब पैगंबर ने प्रतिद्वंद्वी गुट हुदयबियाह से संधि की तो ऐसा लगा कि यह समर्पण है। यहां तक कि उनके कट्टर समर्थकों को भी। हालांकि, कुरान में इसे स्पष्ट विजय के रूप में करार दिया गया है और ऐसा साबित भी हो गया। वहां थोड़े से समय में ही मुसलमान विजेता के रूप में मक्का में प्रवेश कर गए और रक्त की एक बूंद भी नहीं गिरी। '
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