मध्यप्रदेश की 54वीं सालगिरह
जश्न की तैयारियों ने पकड़ा जोर, आला अफसर संभाल रहे हैं जिम्मा
Bhopal:Monday, September 27, 2010:
एक नवम्बर को अपने अस्तित्व के 54 साल पूरे करने जा रहा मध्यप्रदेश अब जश्न की तैयारियों में जुट गया है। यह पहला मौका है जबकि प्रदेश की सालगिरह को एक जिम्मेदाराना संकल्प पर केन्द्रित किया जा रहा है। निश्चित ही इसे आओ बनाएं अपना मध्यप्रदेश की भावना के विस्तार का आधार बनाया जा रहा है। कई आला अफसरों के जिम्मे इस सिलसिले में महीनेभर चलने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा और संचालन किये गये हैं।
चौपन साल की अत्यंत परिपक्व, गहरी समझबूझ वाली उम्र का पड़ाव नई दिशाएं तय करने के लिये मजबूत आधार हो सकता है। इसी सोच को साकार करने में अब देरी ठीक नहीं, इसलिये इसे नया मध्यप्रदेश गढ़ने पर एकाग्र किया गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान मानते हैं कि नई सोच के समग्र परिदृश्य में आम लोगों की मौजूदगी प्रमुखता से हो ताकि उनमें भागीदारी का दायित्व-बोध समय रहते आ जाये। आम लोगों का जुड़ाव इस आयोजन में इसीलिये किया जा रहा है।
रचनात्मक कार्यों से लबरेज होगा जश्न
मुख्यमंत्री की अभिलाषा को देखते हुए एक नवम्बर से शुरू होकर पूरे महीने चलने वाले कार्यक्रमों में उन रचनात्मक गतिविधियों को शुमार किया जा रहा है जो आगे जाकर आओ बनाएं अपना मध्यप्रदेश के उद्देश्य को पाने में मददगार बनेंगी। खेल इसलिये आयोजन का हिस्सा बनाये जा रहे हैं ताकि आपसी जुड़ाव और तालमेल का जज्बा लोगों को विकास के लिये संगठित कर सके। इसी तरह साहित्यिक समागम इसलिये किये जा रहे हैं ताकि प्रदेश को नई शक्ल देने की कल्पनाशीलता को यथार्थपरक सोच मिल जाये। प्रदेश को नये सिरे से गढ़ने में यहां की मूल और लोक संस्कृति की खुशबू का एहसास कभी जुदा न हो इसके लिये सांस्कृतिक आयोजनों को भी प्रमुखता दी जा रही है।
ये सारी गतिविधियां ऊर्जा और जल बचाने, वातावरण में स्वच्छता कायम करने और इस सब के लिये श्रमदान की भावना और ताकत पैदा करेंगी। माना यह भी गया है कि इस राह में कोई नशा रोड़ा न बन जाये इसलिये इससे लोगों को मुक्त करने की सीख देने वाले कार्यक्रम भी किये जा रहे हैं। छात्र-छात्राओं की निबंध, भाषण प्रतियोगिताएं, प्रभात फेरियां आदि सबकुछ आयोजन का हिस्सा होंगे।
राजधानी से गांवों तक
आयोजन चूंकि व्यापक है और इसके दायरे में राजधानी से गांवों तक के फासले शरीक हैं इसलिये अलग-अलग स्तरों पर बनाई गईं समितियां कार्यक्रमों को लेकर सक्रिय हो उठी हैं। सब अपने-अपने तौर पर आयोजन को प्रभावी तथा सार्थक बनाने में जुटे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें