
लखनऊ| एक हफ्ते के धड़कनें रोकने वाले इंतजार के बाद आखिरकार अयोध्या विवाद पर फैसला आ ही गया। फैसले के मुताबिक, सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा लखनऊ बेंच ने 2:1 से खारिज कर दिया है। विवादित जमीन के 3 हिस्से किये गए हैं। जिसे तीनों पक्षकारों में अलग-अलग बांट दिया गया है। विवादित जमीन का केंद्रीय हिस्सा जहां मू्र्तियां रखीं थीं, उसे रामलला का जन्मस्थान मानते हुए पूजा के लिए दिया गया है।
इस फैसले से पिछले 60 साल के विवाद के खत्म होने की उम्मीद लगाई जा रही है। फैसला इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्पेशल लखनऊ बेंच ने सुनाया है। न्यायिक पीठ के तीन अनुभवी न्यायाधीश, न्यायाधीश धर्मवीर शर्मा, न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और न्यायाधीश सिबघट उल्लाह खान हैं।
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अभी तक मीडिया के पास फैसले की कॉपी नहीं पहुंची है। लेकिन जल्द ही मीडिया को भी फैसले की प्रतियां सौंप दी जाएंगी। मीडिया में इस समय खबरें अयोध्या मामले के वकीलों और जजमेंट के समय कोर्ट में उपस्थित लोगों के हवाले से चलाई जा रही हैं। इस मामले में विवादित भूमि के तीन दावेदार थे। सुन्नी वक्फ बोर्ड, हिंदू महासभा और निर्मोही अखाड़ा। हिंदू महासभा के वकील रविशंकर प्रसाद हैं।
फैसले के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं-
1. विवादित जमीन 3 हिस्सों में बांटी गयी।
2. सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया गया है। वक्फ बोर्ड का दावा 2:1 से खरिज हुआ है।
3. तीनों जजों ने माना है कि विवादित स्थल भगवान राम की जन्मभूमि है।
4. विवादित जमीन के मुख्य केंद्रीय हिस्से को भगवान राम का जन्मस्थान मानते हुए रामलला की पूजा के लिए दिया गया है।
5. विवादित जमीन का बाहरी हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया है जबकि तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया गया है।
6. न्यायिक फैसले पर अगले 3 महीनों के अंदर कार्यवाही पूरी की जाएगी।
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