राजा भोज राज्यारोहण के 1000 वर्ष पर आयोजित कार्यक्रमों के संचालन के लिये कोर समिति बनेगी
मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा जनभागीदारी आधारित कार्यक्रम बनाने के निर्देश
Bhopal:Monday, September 27, 2010:
महान राजा भोज के राज्यारोहण के 1000 वर्ष पर आयोजित होने वाले आयोजनों की रूपरेखा निर्धारित करने के लिये आज यहां मंत्रालय में राज्य स्तरीय समारोह समिति की बैठक संपन्न हुई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में कार्यक्रमों के संचालन संबंधी निर्णय प्रक्रिया को तेज करने के लिये एक कोर ग्रुप समिति गठित करने का निर्णय लिया गया।
बैठक का शुभारंभ शहीदे-आजम भगत सिंह को पुण्य स्मरण के साथ हुआ। आज शहीदे आजम का जन्म दिवस है। बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने मौन रखकर उन्हें याद किया। बैठक में बताया गया कि नई पीढ़ी को राजा भोज के व्यक्तित्व और सुशासन के कार्यों से परिचित कराने और उनकी स्मृतियों के संरक्षण के लिये विभिन्न कार्यक्रमों की श्रंखला आयोजित की जायेंगी। भोपाल के बड़े तालाब के बुर्ज पर राजा भोज की 22 फीट की भव्य प्रतिमा की स्थापना की जाएगी।
बैठक में संस्कृति, इतिहास, मीडिया के प्रतिनिधियों, जनप्रतिनिधियों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को आमंत्रित किया गया था। राजा भोज द्वारा बनवाए गए भवनों, मंदिर, उद्यानों, तालाबोंं, बांधों और स्मारकों के संरक्षण-संवर्धन के साथ ही राष्ट्रीय राजा भोज सम्मान, भोज उत्सव, भोज महानाट्य और संगोष्ठी आदि के आयोजनों की रूप रेखा बैठक में बनाई गई है।
बैठक में भोपाल का नाम भोजपाल करने, वाग्देवी की प्रतिमा को इंग्लैण्ड से वापस लाने और राजा भोज पर डाक टिकिट प्रकाशित करने के लिये भारत सरकार से अनुरोध करने के सुझाव प्राप्त हुए। भोज युग के साहित्य और ग्रंथों को संरक्षित, संकलित और प्रकाशित करने की कार्य योजना बनाए जाने की जरूरत बताई गयी। इसके लिये भोज शोध संस्थान की स्थापना का सुझाव भी दिया गया।
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कार्यक्रमों के संचालन के लिये समिति गठित करने और शासकीय, अशासकीय संस्थाओं की भागीदारी एवं केंद्र और अन्य राज्य सरकारों के साथ समन्वय के लिये कार्य योजना बनाने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि राजाभोज एक महान शासक थे। एक अच्छे शासक होने के साथ ही वे शिक्षा, साहित्य, कला संस्कृति, और विज्ञान के महान संरक्षक भी थे। भावी पीढ़ी को उनके व्यक्त्तित्व की प्रामाणिक जानकारी मिलना चाहिये। उन्होंने कहा कि राजा भोज के विशाल व्यक्त्तित्व और कृतित्व को याद करने के आयोजनों में सामान्य जन की भागीदारी होना चाहिये। साथ ही विद्जनों के लिये भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए। श्री चौहान ने कहा कि राजा भोज राज्यारोहण वर्ष के भव्य कार्यक्रम शासकीय विभागों और अशासकीय संस्थाओं के सम्मिलित प्रयासों से आयोजित किए जाये।
संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि विभाग द्वारा राज्य में सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, अवशेषों को खोजने और संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। विगत दिनों भोजपुर के निकट उत्खनन में 18 प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिले हैं। इनको मूल रूप से स्थापित करने का कार्य भी शुरू किया गया है। उन्होंने राज्य रोहण समारोह को गरिमामय भव्यता के साथ आयोजित करने के लिये सुझाव आमंत्रित किए।
विधानसभा उपाध्यक्ष श्री हरवंश सिंह ने राज्य सरकार की पहल का स्वागत करते हुये कहा कि भोपाल शहर में महत्वपूर्ण स्थान पर राजा भोज की प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजा भोज पर एक प्रमाणित किताब और वृत्तचित्र आवश्यक है। उन्होंने नई पीढ़ी को राजा भोज के व्यक्तित्व से परिचित कराने के लिये महानाटक तैयार कराने का सुझाव दिया।
राज्य सभा सदस्य श्री अनिल माधव दवे ने कहा कि राजा भोज सुशासन के प्रतीक थे तथा वे जल संरक्षण कार्यों के भी विशेषज्ञ थे। उन्होने कहा कि राजा भोज पर लिखे गये ग्रंथों के आधार पर उनके व्यक्त्तित्व का आकलन करते हुये एक प्रामाणिक प्रतिमा निर्मित करने की आवश्यकता बतायी। उन्होंने राज्या रोहण समारोह के संचालन के लिये एक संचालन समिति बनाने का सुझाव दिया।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री विक्रम वर्मा ने कहा कि लंदन से वाग्देवी प्रतिमा वापस लाने के लिये व्यवस्थित दस्तावेजीकरण तैयार करने पर ध्यान देना होगा। पुरातत्व विभाग को राजा भोज से संबंधित पुरातात्विक महत्व के स्थलों को संरक्षित करने की पहल करना चाहिए।
माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री बी.के.कुठियाल ने सुझाव दिया कि राजा भोज पर लिखे गये प्रमाणिक लेखों को अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया जाना चाहिये। साथ ही बच्चों के लिये एनिमेशन फिल्म बनाना चाहिये। उन्होंने कहा कि कार्यक्रमों को समर्पित एक वेबसाइट बनाना चाहिये जिसमें राजा भोज से संबंधित महत्वपूर्ण सामग्री अपलोड की जा सके।
वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव ने भोपाल का नामकरण भोजपाल करने और बड़ी झील का नाम भोजताल करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि राजा भोज के जीवन और रचनात्मक कार्यों को मध्यप्रदेश के सामान्य ज्ञान की पुस्तक में समाहित किया जाना चाहिये। साथ ही परमारकालीन वाग्देवी प्रतिमा को लंदन संग्रहालय से वापस लाने की प्रकिया शुरू करना चाहिये। श्री गिरिजाशंकर ने कहा कि प्रस्तावित राजा भोज सम्मान की राशि को राजा भोज पर शोध कार्य पर खर्च करना उचित होगा। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. थापक ने कहा कि राजा भोज के दर्शन और सुशासन के सिद्धांतों पर विश्वविद्यालय स्तरीय भाषण स्पर्धा आयोजित की जाना चाहिए।
श्री भगवतीलाल राजपुरोहित ने कहा कि राजाभोज पर लिखी गई पुस्तकों, ग्रंथों का पुन: मुद्रण करने की पहल की जाना चाहिये। वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि भोज की स्मृति में राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम होना चाहिये। उन्होने भोपाल एक्सप्रेस का नाम बदलकर राजाभोज एक्सप्रेस करने का सुझाव दिया। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति श्री पी.के.मिश्रा ने राजा भोज के जीवन पर महानाट्य आयोजित करने और उनके जीवन पर फिल्म बनने में सहयोग करने की पहल की। श्री विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि राजा भोज पर महत्वपूर्ण शोध और लेखन करने वाले विद्वानों को भी आयोजनों से जोड़ने की जरूरत है। श्री विकास भट्ट ने कहा कि मध्यप्रदेश गुजरात और राजस्थान को आपस में सहयोग करते हुये राज्यारोहण के कार्यक्रमों को संचालित की जाना चाहिये।
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री श्री सुंदरलाल पटवा, शालेय शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस, आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री विजय शाह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव, संस्कृति, वित्त, सामान्य प्रशासन, आदिम जाति कल्याण, शालेय शिक्षा विभागों के प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, भोजमुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के.सिंह, आयुक्त पुरातत्व श्री अशोक शाह, प्रबंध संचालक म.प्र. पर्यटन विकास निगम श्री हरिरंजन राव, अपर संचालक जनसंपर्क श्री लाजपत आहूजा, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री टी.आर. थापक और बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय की प्रो. निशा दुबे उपस्थित थ
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