मंगलवार, 3 अगस्त 2010
भोपाल गैस त्रासदीः सीबीआई ने कडाई की मांग की
भोपालः सीबीआई ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के मामले में 14 साल पुराने एक फैसले को याद करते हुए आरोपियों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में गैर इरादतन हत्या के कड़े आरोप बहाल करने की मांग की, जिनमें 10 साल की कैद की अधिकतम सजा का प्रावधान है.
एटार्नी जनरल जीई वाहनवती द्वारा मंजूर एक उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका में कहा गया है कि मामले में न्याय में पूरी तरह विफलता रही. याचिका में मांग की गयी है कि शीर्ष न्यायालय के 13 सितंबर 1996 के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए जिसमें यूनियन कार्बाइड इंडिया के पूर्व अध्यक्ष केशव महिंद्रा और छह अन्य के खिलाफ लापरवाही और अविवेकपूर्ण तरीके से मौत के लिए जिम्मेदार होने के हल्के आरोप लगाये गये.
पांच सौ से अधिक पन्नों की उपचारात्मक याचिका तैयार करने वाले वकील देवदत्त कामत ने कहा, ‘‘हमने अदालत से शीर्ष न्यायालय के उस फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है, जिसमें आरोपियों के खिलाफ आरोपों को हल्का कर दिया गया. हमने अदालत से मांग की है कि आईपीसी की धारा 304 भाग.दो बहाल करने का निर्देश दिया जाए.’
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न्याय हर-हाल में होना ही चाहिए और उसके रास्ते में अगर किसी प्रधानमंत्री ने भी टांग अराये हो तो उसको भी सजा होनी चाहिए ,अगर किसी मृत प्रधानमंत्री का नाम आता हो तो सजा के तौर पर उसके नाम पर देश में जितने संस्थान ,रोड या कोई स्मारक हो उसका नाम बदल दिया जाना चाहिए | न्याय को अन्याय में बदलने वाला या उसमे सहयोग करने वाला दोनों अपराधी हैं |
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