उज्जैन 28 अक्टूबर 2013। करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन को सीलिंग मुक्त करने के एक और मामले में लोकायुक्त ने रविवार को प्रकरण दर्ज कर दिया। मक्सीरोड के 9 भूखंडों के इस मामले में पूर्व अपर आयुक्त रमेश एस थेटे (अब डिप्टी सेक्रेटरी लोक सेवा भोपाल) तहसीलदार व एक पटवारी आरोपी बने हैं। सीलिंग के 22 और मामले में भी लोकायुक्त जल्द ही कार्रवाई करेगी।
लोकायुक्त रिकार्डनुसार शासन ने मक्सीरोड स्थित पंवासा में हिमतसिंह पिता किशनसिंह की भूमि 1981 से पूर्व अधिग्रहित की थी। कानूनन जमीन को सीलिंग मुक्त नहीं हो सकती। बावजूद 14 मार्च 2013 को तत्कालीन अपर आयुक्त थेटे ने 9 सर्वे नंबरों में बंटी 5.488 हेक्टेयर जमीन को सीलिंग मुक्त कर हिमतसिंह के परिजनों के नाम कर दी। इसमें पूर्व तहसीलदार आदित्य शर्मा (अब नीमच में) व हल्का नंबर 40 के पटवारी राजेंद्र सोलंकी भी शामिल है। 23 जून को मामला सामने आने पर 1 अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज कर डीएसपी पीएस बघेल ने जांच की। प्रमाण मिलने पर रविवार को तीनों के खिलाफ निजी लाभ के लिए षड्यंत्र रचकर पद का दुरुपयोग करने का प्रकरण दर्ज कर दिया।
भूमि सीलिंग मुक्त के नियम
22 मार्च 1999 को सिलिंग एक्ट 1976 समाप्त हो गया था। नियमानुसार 1 जुलाई 1981 से पूर्व अधिगृहीत की गई भूमि मुक्त नहीं की जा सकती है। शासन अधिगृहीत भूमि का किसी भी तरह उपयोग कर सकता है। उसकी अपील का अधिकार राजस्व अधिकारी को नहीं होता।
जमीन घोटाले में अब तक
> मार्च तक 25 स्थान की जमीन को सीलिंग मुक्त किया।
> कमिश्नर अरुण पांडेय ने जांच में जमीन सीलिंग मुक्त करना पाया।
> जमीन बचाने के लिए शासन को हाईकोर्ट से स्टे लेना।
> प्रकरण के चलते अपर आयुक्त थेटे का भोपाल तबादला हुआ।
> 2.95 करोड़ की जमीन घोटाले में अप्रैल से लोकायुक्तकार्रवाई।
> व्यापारी भरत पोरवाल ने भी थेटे व रीडर विजय पर 9 लाख रुपए रिश्वत का आरोप लगाया।
एसपी लोकायुक्त उज्जैन अरुण मिश्र ने बताया,जमीन सीलिंग मुक्तकरने के मामले में तत्कालीन अपर आयुक्त थेटे सहित 3 पर एक और प्रकरण दर्ज किया है। शेष मामलों में जांच के बाद प्रमाण अनुसार कार्रवाई करेंगे।
- (डॉ. अरूण जैन)
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मंगलवार, 29 अक्टूबर 2013
पूर्व अपर आयुक्त थेटे पर एक और प्रकरण, पूर्व तहसीलदार व पटवारी भी आरोपी
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