गुरुवार, 9 मई 2013

प्रदेश में सिखों के विवाह अलग कानून के तहत होगा


शिवराज सरकार ने प्रभावशील किये आनन्द कारज विवाह नियम
भोपाल 8 मई 2013। प्रदेश में सिख समुदाय के लोगों का विवाह हिन्दू मेरिज एक्ट 1955 के तहत न होकर केन्द्र सरकार द्वारा बनाये आनन्द कारज एक्ट 2012 के तहत होगा। इसके लिये प्रदेश की शिवराज सरकार ने नये नियम प्रभावशील कर दिये हैं। दरअसल जिस प्रकार से मुस्लिमों, ईसाईयों,पारसियों और जैव्स के लिये अलग विवाह कानून हैं उसी तर्ज पर अब सिखों के लिये भी अलग कानून-कायदे हो गये हैं। नये कायदों के अनुसार, अब सिखों को जिा कलेक्टर एवं एसडीएम के यहां आवेदन करके विवाह प्रमाण-पत्र लेने होंगे। इससे सिख महिलाओं के विवाह  के बाद के अधिकार सुरक्षित हो सकेंगे।
दरअसल सिखों के विवाह के लिये अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में वर्ष 1909 में आनन्द विवाह अधिनियम बनाया था परन्तु आजादी के बाद सिखों के विवाह हिन्दू विवाह कानून के तहत होने लगे। सिखों का विवाह हेतु अन्य कुछ सयमुदायों की तरह अलग कानून हो इसके लिये गत वर्ष 2012 में केन्द्र सरकार ने आनन्द कारज एक्ट 1909 में संशोधन कर दिया जिसमें सिख विवाहों के पंजीयन का प्रावधान किया गया है तथा राज्य सरकारों को इस संशोधित कानून के तहत नियम बनाने के अधिकार दिये गये। इसी अधिकार के तहत मप्र सरकार ने अपने विधि विभाग के माध्यम से मप्र आनन्द विवाह रजिस्ट्रीकरण नियम 2013 जारी कर दिये हैं। ये नियम केन्द्र सरकार के आनन्द कारज संशोधन अधिनियम 2012 के लागू होने की तिथि से प्रभावशील किये गये हैं।
शिवराज सरकार द्वारा जारी नये रजिस्ट्रीकरण नियम के अनुसार, जिलों के कलेक्टर जिला रजिस्ट्रार और एसडीएम रजिस्ट्रार नियुक्त किये गये हैं। सिखों को अब विवाह हेतु रजिस्ट्रार के यहां विवाह करने के तीस दिन के अंदर पचास रुपये शुल्क अदा कर विवाह पंजीकरण प्रमाण-पत्र हेतु देना होगा। इन नियमों के पहले हुये सिख विवाहों के पंजीकरण हेतु तय किया गया है कि नियम लागू होने के एक साल पहले के विवाह भी आवेदन कर पंजीकृत कराये जा सकेंगे। एक साल पहले से अधिक समय पूर्व किये गये विवाह हेतु विवाह के दस्तावेज सहित आवेदन करना होगा और इसके लिये दो सौ रुपये शुल्क लिया जायेगा। इसमें घोषणा-पत्र देना होगा कि उनका विवाह हुआ है। ऐसे घोषणा-पत्र को किसी राजपत्रित अधिकारी या सांसद या किसी विधायक या किसी स्थानीय स्वशासी शासकीय संस्था के पार्षद द्वारा सर्टिफाई कराना होगा। विवाह ज्ञापन में ऐसे दो साक्षियों के हस्ताक्षर देने होंगे जिन्होंने विवाह देखा हो। 
यदि रजिस्ट्रार किसी विवाह को प्रमाण-पत्र देने से इंकार करता है तो ऐसे इंकार के तीन माह के भीतर जिला कलेक्टर यानी जिला रजिस्ट्रार के यहां अपील की जा सकेगी। जिला रजिस्ट्रार ऐसी अपीलों का निराकरण पन्द्रह दिन के अंदर करेगा। एसडीएम यानी रजिस्ट्रार अपने यहां पंजीकृत होने वाले विवाहों की जानकारी हर माह के दसवें दिन जिला कलेक्टर के पास भेजेगा तथा अपने पास भी यह जानकारी रजिस्टर में संधारित करेगा।

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