गुरुवार, 3 जनवरी 2013

अब समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाली सरकारी एजेन्सियों को लायसेंस लेना होगा

 
Bhopal, 03 Jan 2013, प्रदेश में अधिसूचित कृषि फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाली सरकार एजेन्सियों को अब मंडी अधिनियम के तहत कृषि उपज के व्यापार का लायसेंस लेना होगा। लेकिन उन्हें इस लायसेंस को लेने पर जमा की जाने वाली प्रतिभूतियों से मुक्त रखा गया है। 
ज्ञातव्य है कि केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर अधिसूचित कृषि उपज क्रय किये जाने हेतु केन्द्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम, मप्र नागरिक आपूर्ति निगम तथा राज्य सहकारी विपणन संघ को प्राधिकृत किया जाता है। ये प्राधिकृत सरकारी संस्थायें कृषि उपज के क्रय का कार्य प्राथमिक/वृहत्ताकार कृषि साख सेवा सहकारी समितियों अथवा विपणन सहकारी समितियों को अपना एजेंट नियुक्त कर किया जाता है। नागरिक आपूर्ति निगम एवं सहकारी विपणन संघ उपार्जित कृषि उपज के स्कंध को सेन्ट्रल पूल में भारतीय खाद्य निगम को हस्तांतरित कर दिया जाता है। भारतीय खाद्य निगम द्वारा लोक वितरण पध्दति अंतर्गत वितरण हेतु उचित मूल्य के दुकानदारों को या ओपन मार्केट सेल्य स्कीम अंतर्गत नीलामी के माध्यम से इसे बेचा जाता है। प्राधिकृत सरकारी संस्थायें तो उपार्जित् अधिसूचित कृषि उपज पर मंडी फीस और निराश्रित शुल्क का भुगतान संबंधित मंडियों को किया जाता है परन्तु उपार्जित स्कंध को राज्य सरकार या केन्द्र सरकार की संस्था को हस्तांतरित करते समय अनुज्ञापत्र की प्राप्ति नहीं की जाती है। इस कारण विशेषकर जब ओपन मार्केट सेल्य स्कीम अंतर्गत अधिसूचित  कृषि जिन्स का विक्रय होता है तो संबंधित कृषि उपज मंडी समिति द्वारा मंडी फीस भुगतान का सत्यापन न कर पाने से उपज क्रेता को अनुज्ञापत्र जारी किये जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसीलिये अब कृषि विभाग ने इन सभी कठिनाईयों को दूर करने के लिये मंडी एक्ट के तहत नये सिरे से आदेश जारी किये हैं।
नये आदेश के अनुसार, अब समर्थन मूल्य पर अधिसूचित कृषि उपज के क्रय उपरान्त भण्डारण हेतु परिवहन,हस्तांतरण/स्थानान्तरण हेतु केन्द्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अभिकरण, संस्था, एजेन्सी के द्वारा प्रत्येक संबंधित मंडी को प्रत्येक माह प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जायेगा , जिसमें संबंधित मंडी के कार्य क्षेत्र अंतर्गत प्रस्तुत किये गये प्रमाण-पत्र अवधि में उनके द्वारा नियुक्त एजेन्सीवार कितनी मात्रा में अधिसूचित कृषि उपज का उपार्जन किया गया। उपार्जित कृषि उपज का मूल्य तथा उस पर देय मंडी फीस, निराश्रित शुल्क का विवरण अनिवार्यत: अंकित होगा। इस प्रमाण-पत्र को कृषि उपज मंडी समितियों के द्वारा मंडी समितियों की उपविधि सन् 2000 के प्रारुप दस के अनुरुप घोषणा-पत्र के रुप में मान्य किया जायेगा और मंडी फीस के भुगतान एवं स्कंध के परिवहन,प्राप्ति एवं हस्तांतरण हेतु यह प्रमाण रुप में मान्य होगा तथा इसके लिये कृषि उपज मंडी समिति द्वारा पृथक से मंडी समितियों के लिये उपविधि सन् 2000 के प्रारुप नौ अनुसार अनुज्ञा-पत्र जारी करने की आवश्यक्ता नहीं होगी।
इसी प्रकार अब यदि समर्थन मूल्य पर खरीदी गई अधिसूचित कृषि उपज का राज्य सरकार या केन्द्र सरकार की प्राधिकृत संस्था द्वारा ओपन मार्केट सेल्स स्कीम में विक्रय किया जाता है तो संबंधित मंडी समिति को राज्य सरकार या केन्द्र सरकार की प्राधिकृत संस्था द्वारा प्रेषित रिलीज आर्डर की मूल प्रति में यह प्रमाणित किया जाना अनिवार्य होगा कि संबंधित अधिसूचित कृषि उपज का किस विपणन वर्ष में प्रदेश में उपार्जन हुआ है तथा इस पर निर्धारित मंडी फीस का भुगतान राज्य सरकार के द्वारा उपार्जन हेतु प्राधिकृत किस संस्था के द्वारा किया गया है। इस रिलीज आर्डर को मंडी समितियों के लिये उपविधि सन् 2000 के प्रारुप दस के अनुरुप घोषणा-पत्र मान्य करते हुये संबंधित कृषि उपज मंडी समिति जिसे यह प्रेषित किया गया है, के द्वारा उपविधि सन् 2000 के प्रारुप नौ में अनुज्ञा-पत्र जारी किया जायेगा।
राज्य सरकार ने उक्त नया आदेश खरीफ विपणन वर्ष 2010-11 तथा रबी विपणन वर्ष 2010-11 से आरंभ होते हुये आगामी वर्षों में प्रदेश के किसानों से समर्थन मूल्य पर उपार्जित अधिसूचित कृषि उपज के लिये लागू किया है।


  -डॉ. नवीन जोशी 

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