रविवार, 20 जनवरी 2013

मध्यप्रदेश में उद्यानिकी फसल क्षेत्र में 5 लाख हेक्टेयर से अधिक वृद्धि विधानसभा के विशेष सत्र के महत्वपूर्ण संकल्प की पूर्ति, उद्यानिकी उत्पादन ढाई और सब्जी उत्पादन तीन गुना बढ़ा


भोपाल 20 जनवरी 2013। खाद्यान्न उत्पादन में देश में सिरमौर होकर उभरने के साथ ही मध्यप्रदेश ने उद्यानिकी क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वर्ष 2009 में स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने के लिए बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र में पारित उद्यानिकी विकास के संकल्प को लक्ष्य से अधिक प्राप्त कर लिया गया है। संकल्प 2013 के बिन्दु क्रमांक 21 में प्रदेश में वर्ष 2012-13 तक 5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत लाने का लक्ष्य रखा गया था। इसकी तुलना में वर्ष 2012-13 में 5 लाख 1 हजार 980 हेक्टेयर में उद्यानिकी का विस्तार किया गया। वर्ष 2010-11 में 8 लाख 23 हजार 155 हेक्टेयर में उद्यानिकी फसल ली गयी थी। इसकी तुलना में वर्ष 2012-13 में 13 लाख 1 हजार 283 हेक्टेयर में उद्यानिकी फसलें ली गयी।
इसके अलावा, उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में पिछले तीन वर्ष में ढाई गुना वृद्धि हुई। वर्ष 2010-11 में प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का उत्पादन 77 लाख 61 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा था, जो वर्ष 2012-13 में बढ़कर करीब एक करोड़ 80 लाख मीट्रिक टन हो गया।
सबसे ज्यादा क्षेत्र और उत्पादन वृद्धि सब्जी में हुई है। वर्ष 2010-11 में प्रदेश में सब्जी का क्षेत्र करीब 2 लाख 84 हजार हेक्टेयर था, जो वर्ष 2012-13 में बढ़कर 5 लाख 53 हजार हेक्टेयर हो गया। सब्जी उत्पादन वर्ष 2010-11 में करीब 36 लाख 99 हजार मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2012-13 में बढ़कर एक करोड़ 08 लाख 56 हजार मीट्रिक टन हो गया। यह वृद्धि तीन गुना से अधिक है।
इसी तरह फलों के क्षेत्रफल और उत्पादन में भी तीन वर्ष में अच्छी वृद्धि हुई है। वर्ष 2010-11 में एक लाख 32 हजार से ज्यादा हेक्टेयर में फलों की फसल ली गयी। वर्ष 2012-13 में यह बढ़कर एक लाख 72 हजार हेक्टेयर हो गया। फल उत्पादन वर्ष 2010-11 में 33 लाख 73 हजार मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2012-13 में बढ़कर करीब 37 लाख 85 हजार मीट्रिक टन हो गया। मसाला फसलों का भी काफी विस्तार हुआ है। वर्ष 2010-11 में करीब 3 लाख 66 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मसालों की फसल ली जाती थी। यह क्षेत्र वर्ष 2012-13 में बढ़कर 5 लाख 14 हजार हेक्टेयर हो गया है। मसाला उत्पादन इस दौरान 4 लाख 82 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर करीब 30 लाख 80 हजार मीट्रिक टन हो गया। फूलों की खेती वर्ष 2010-11 में 7,660 हेक्टेयर में होती थी। वर्ष 2012-13 में इसका क्षेत्रफल बढ़कर 16 हजार हेक्टेयर से ज्यादा हो गया। फूलों का उत्पादन इस दौरान 6 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर एक लाख 58 हजार मीट्रिक टन हो गया।
विशेष प्रयास
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि के साथ-साथ उद्यानिकी के विकास पर विशेष बल दिया है। उद्यानिकी फसलों के क्षेत्रफल विस्तार और उत्पादन में वृद्धि के लिए विशेष प्रयास किये गये हैं। वर्ष 2006-07 से दिसम्बर 2012 तक नेशनल मिशन ऑन माइक्रो इरीगेशन के तहत एक लाख 99 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई। इससे एक लाख 14 हजार से ज्यादा हितग्राही लाभान्वित हुए।
प्रदेश में गठित कृषि केबिनेट की एक बैठक उद्यानिकी पर केन्द्रित रही। बैठक में उद्यानिकी फसल उत्पादों के विक्रय को मंडी अधिनियम की परिधि से बाहर रखने का निर्णय लिया गया। इससे उद्यानिकी किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलने लगा है।
कोल्ड स्टोरेज, संरक्षित खेती की संरचनाओं, प्र-संस्करण इकाइयों, मॉडल नर्सरी आदि गतिविधियों के लिए बिजली की गैर-व्यावसायिक दर पर सतत् आपूर्ति की व्यवस्था विद्युत नियामक आयोग के माध्यम से की गई।
उद्यानिकी फसलों में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए हार्टिकल्चर हब नीति लागू की गयी है। केला उत्पादक किसानों को बेहतर मूल्य दिलवाने के उद्देश्य से केले का क्रय-विक्रय पहले की तरह मंडी के माध्यम से करने का निर्णय लिया गया।

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