विदेश में पढ़ने वालों की स्वदेश वापसी जरूरी नहीं
भोपाल, 29 जुलाई 2011। सरकारी मदद पर मध्य प्रदेश से विदेश जाकर अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए अब भारत लौटना जरूरी नहीं होगा। राज्य सरकार ने यह निर्णय बच्चों के बेहतर भविष्य को लेकर लिया है, ताकि यहां के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्र विदेशों में जाकर वहां अच्छी नौकरी प्राप्त करें, धन अर्जित करें और प्रदेश का नाम रोशन करें।
आदिम जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग के कार्यो की त्रैमासिक समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कहा कि तकनीकी शिक्षा या अन्य विशिष्ट अध्ययन के लिए प्रदेश शासन द्वारा अनुसूचित जाति-जनजाति के मेधावी बच्चों को विदेश भेजने की योजना का उद्देश्य ही यही है कि इन वर्गो के बच्चे भी ऊंची शिक्षा प्राप्त कर आगे बढ़ें। अध्ययन के बाद विदेश से वापस लौटने का नियम व्यावहारिक नहीं है। यदि ऐसे विद्यार्थियों को विदेशों में अच्छी नौकरी मिलती है तो इसमें नियम क्यों बाधक बने।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि छात्रों को छात्रवृत्ति समय पर मिले, इसका ध्यान रखा जाए। उन्होंने विभाग की स्वरोजगार योजनाओं की मंत्री स्तर पर भी समीक्षा का निर्देश दिया। उन्होंने यह निर्देश भी किया कि वर्तमान परिवेश में स्वरोजगार योजनाओं के स्वरूप को बेहतर बनाने के सम्बंध में 15 दिन के भीतर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाए। मुख्यमंत्री चौहान ने अस्वच्छ कार्यो में लगे लोगों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना का नाम परिवर्तित करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करने की बात भी कही।
मुख्यमंत्री चौहान ने विभागीय निर्माण कार्यो को समय-सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अपूर्ण कार्यो के लिए समय-सीमा तय कर कार्रवाई की जाए, निर्माण एजेंसियां राशि का तत्काल उपयोग करे, क्योंकि एजेंसियों के पास राशि रुकी रहने की प्रवृत्ति अनुचित है।
बैठक में मंत्री विजय शाह ने कहा कि विभाग का प्रदेश के प्रत्येक विकास खंड में पीपीपी मोड पर अंग्रेजी माध्यम की पाठशालाएं खोलने का प्रस्ताव है। इसके लिए निजी क्षेत्रों से प्रस्ताव मंगाए जाएंगे। शाह ने यह भी बताया कि विभागीय खेल परिसरों को स्पोर्ट्स अथॉरिर्टी ऑफ इंडिया के मापदंडों के अनुरूप बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि यह कार्य खेल एवं युवा कल्याण विभाग के साथ समन्वय के द्वारा किया जाए।
Date: 29-07-2011
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