देश में पहली बार किसानों के बैंक खातों में सीधे पहुंचे एक हजार करोड़
समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी और बोनस राशि, साढ़े आठ लाख मे. टन से ज्यादा की खरीदी दर्ज, 25 लाख मे. टन गेहूँ के लिये उपलब्ध हैं बारदाने
भोपाल 10 अप्रैल 2011। खेती को लाभ का धंधा बनाने और वास्तविक किसानों को लाभ मिलने की प्रतिबद्धता सिद्ध करते हुए मध्यप्रदेश पूरे देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने किसानों के बैंक खातों में सिर्फ 25 दिनों में करीब एक हजार करोड़ रुपये सीधे पहुंचा दिये हैं। यह कार्रवाई मौजूदा रबी सीजन की समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी की ऐवज में की गई है। इसमें राज्य सरकार द्वारा अलग से दी गई 100 रुपये प्रति क्विंटल की बोनस राशि शामिल है। सरकार की इस कार्रवाई का मकसद वास्तविक किसानों को फायदा पहुंचाने के साथ ही उन्हें बिचौलियों के शोषण से मुक्त करना भी है। यह सिलसिला जारी है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की किसान को बैंक में सीधे राशि मिलने की घोषणा इस रूप में अमल में आ गई है।
मौजूदा तीसरे रबी साल में भी किसानों से अब तक साढ़े आठ लाख मे. टन से ज्यादा गेहूँ खरीदा जा चुका है। उपार्जित गेहूँ में से 5 लाख 69 हजार मे. टन गेहूँ गोदामों तक सुरक्षित पहुंचा दिया गया है। भुगतान में कोई गड़बड़ी की गुंजाइश न हो इसलिये राज्य सरकार के निर्देश पर इस साल पूरा पैसा किसान के बैंक खाते में सीधे जमा कराया जा रहा है। बारदानों में कमी का इसलिये सवाल ही नहीं है कि उपार्जन के काम पर अन्य स्तरों की निगरानी के साथ ही अब सारे मंत्रियों ने भी मैदानी क्षेत्रों में यह जिम्मा संभाल लिया है।
भुगतान का सीधा और आसान तरीका
किसानों को उनकी उपज की एवज में मिलने वाले भुगतान को लेकर किसी गड़बड़ी का शिकार न होना पड़े अत: किसान उपज बेचते समय अपनी स्थानीय पहचान के लिये दिखाई जाने वाली ऋण पुस्तिका के आधार पर ही खरीदी केन्द्र पर उपलब्ध एक प्रपत्र भर रहे हैं। इसमें उनके बैंक का नाम और खाता नम्बर भी दर्शाया जा रहा है। खरीदी कर रही सहकारी समिति किसानों को एक रसीद दे रही है जिसमें खरीदी की कुल मात्रा और मूल्य अंकित रहेगा। इसके बाद समिति संबंधित किसान का ब्यौरा देकर संबंधित बैंक में उपज का मूल्य किसान के खाते में जमा करा रही है।
पिछले साल किसानों को दिये 4200 करोड़
समर्थन मूल्य पर उपज खरीदने की योजना ही एकमात्र सबसे बड़ी और किसानों को सीधे-सीधे फायदा पहुंचाने वाली योजना है। मध्यप्रदेश में इस तथ्य को पूरी तरह स्वीकार कर ही राज्य सरकार इस योजना में अपना अंशदान बोनस की शक्ल में अतिरिक्त तौर पर किसानों को दे रही है। इस परम्परा की शुरूआत वाला भी मध्यप्रदेश पूरे देश में पहला राज्य था। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने एक कदम आगे जाकर पूर्व निर्धारित बोनस की राशि 50 रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये प्रति क्विंटल की। पिछले साल की बात करें तो प्रदेश में 35 लाख मे. टन से ज्यादा गेहूँ समर्थन मूल्य पर खरीदा गया और किसानों को इसके चलते 4200 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसमें 350 करोड़ रुपये तो सिर्फ बोनस के ही थे।
इस साल फिर 35 लाख मे. टन का लक्ष्य
पिछले साल की उत्साहवर्द्धक खरीदी के मद्देनजर राज्य सरकार इस साल भी 35 लाख मे. टन गेहूँ खरीदी का लक्ष्य तय कर चुकी है। पन्द्रह मार्च से शुरू हुई गेहूँ उपार्जन की कार्रवाई के तहत नौ अप्रैल तक साढ़े आठ लाख मे. टन से ज्यादा गेहूँ खरीदा जा चुका था। इसमें राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने जहां 23 जिलों में खरीदी की, वहीं राज्य सहकारी विपणन संघ ने शेष जिलों में गेहूँ खरीदा है। सबसे ज्यादा एक लाख 44 हजार 990 मे. टन गेहूँ हरदा जिले में खरीदा गया है। खरीदी का सिलसिला 31 मई तक चलेगा।
भरपूर हैं बारदाने
राज्य सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी को लेकर एक तरह का किसान उत्सव ही मनाती है। इसीके मद्देनजर हर जरूरी इंतजाम पहले से किये जाते हैं। उसने पहले से ही कोई 25 लाख मे. टन गेहूँ को भरे जाने के लिये एक लाख 22 हजार 819 बारदाना गठानों का इंतजाम कर रखा है। आगे भी जरूरत के मुताबिक और गठानों का इंतजाम किया जायेगा।
खरीदी केन्द्रों में इजाफा
सरकार गेहूँ खरीदी के बड़े लक्ष्य के मुताबिक अपने तयशुदा केन्द्रों की तादाद में भी लगातार इजाफा करती रही है। पिछले साल खरीदी की अंतिम तारीख तक तयशुदा केन्द्रों की 1250 तादाद को बढ़ाकर 1652 तक ले जाया गया था। इस साल अभी से 1862 खरीदी केन्द्र तय कर दिये गये हैं।
चार जिलों की खरीदी का खास परिवहन
प्रदेश के हरदा, होशंगाबाद, रायसेन और सीहोर जिले जहां से सर्वाधिक खरीदी दर्ज हो रही है, अभी से रेल और परिवहन के जरिये गेहूँ अन्य जिलों के गोदामों में पहुंचाया जा रहा है। आवश्यकता के अनुरूप सभी स्थानों पर कैप-स्टोरेज के प्रबंध भी किये जा रहे हैं और इनमें यह सुनिश्चित किया जायेगा कि वहां रखा जाने वाला गेहूँ पानी से प्रभावित न हो। यह जिम्मा राज्य भण्डार गृह निगम संभाल रही है।
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