मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

शिवराज पाटिल जांच रिपोर्ट ने जेपीसी गठन की मांग का औचित्य साबित किया

शिवराज पाटिल जांच रिपोर्ट ने जेपीसी गठन की मांग का औचित्य साबित किया
जस्टिस शिवराज पाटिल जांच रिपोर्ट ने जेपीसी गठन
की मांग का औचित्य साबित किया - विजेश लूनावत
भोपाल 1 फरवरी 2011। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजेश लूनावत ने कहा कि जस्टिस शिवराज पाटिल जांच समिति ने टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला की जांच में केंद्र सरकार को जवाबदेह बताकर और पूर्व दूरसंचार मंत्री ए-राजा को दोषी करार देकर संयुक्त संसदीय समिति के गठन की आवश्यकता की पुष्टि की है। जेपीसी की जांच से ही आजादी के बाद के सबसे बड़े घोटाला की हकीकत सामने आ सकेगी।
विजेश लूनावत ने कहा कि जस्टिस शिवराज पाटिल जांच समिति के निष्कर्षों ने केन्द्र सरकार और कांग्रेस के सभी दावों की पोल खोल दी है। शिवराज पाटिल जांच समिति ने सीएजी की रिपोर्ट की जहां पुष्टि की है, वहीं दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल की शिगूफाबाजी की कलई खोल दी है।
विजेश लूनावत ने कहा कि टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला पर केग ने सवाल उठाया तो तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए.राजा और पूर्व दूरसंचार सचिव पी.जे.थामस ने इस मामले को नीतिगत मामला बताते हुए केग के अधिकार क्षेत्र को ही चुनौती दे दी थी। विपक्ष ने जब घोटाला को बेनकाब किया तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष पर राजनीति करने का दोष थोप दिया। न्यायमूर्ति शिवराज पाटिल की जांच ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को हकीकत से रू-ब-रू करा दिया है। जांच के बाद दो बातें तय हो गयी है। पहले तो यह कि पौने दो लाख करोड़ रु. के घोटाला से जुड़े राजनेताओं की संलिप्तता का पता जेपीसी के गठन से ही लगेगा। दूसरे यह कि इस घोटाला पर अंगुली उठाने पर किन-किन संवैधानिक संस्थाओं पर यूपीए सरकार और उसके मंत्रियों ने अंगुली उठाकर संविधान की भावना को आहत किया।

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