शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

छात्र की हत्या, छात्रा ने दी जान

छात्र की हत्या, छात्रा ने दी जान
शुक्रवार सुबह एक कॉलेज छात्र की लाश मिली। मामला नृशंस हत्या का था। पुलिस तहकीकात कर ही रही थी कि शाम होते-होते उसी इलाके के हॉस्टल में रहने वाली कॉलेज छात्रा की खुदकुशी की सूचना आई। यह छात्रा उस युवक की दोस्त थी, जिसकी हत्या हुई है।
एक दिन पहले घर से निकला था, पन्नी में लपेटकर फेंकी लाश, पैर भी काटे
भोपाल 12 फरवरी 2011। गोविंदपुरा इलाके के मेहता मार्केट के पास गुरुवार सुबह कॉलेज छात्र की नृशंस हत्या कर उसकी लाश पन्नी में लपेटकर फेंक दी गई। हत्यारों ने छात्र के दोनों पैर भी काट डाले थे। छात्र गुरुवार सुबह 10:30 बजे इंटरव्यू के लिए घर से निकला था। छात्र का मोबाइल फोन और पल्सर बाइक का पता नहीं चल पाया है। शव के साथ पुलिस ने उसका पर्स और सिम कार्ड बरामद किया है।
सिद्धार्थ लेकसिटी में रहने वाला पीयूष शर्मा (२४) पिता महेंद्र शर्मा भेल कॉलेज में कॉमर्स का छात्र था। पीयूष चित्रांश कॉलेज में बीबीए (बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्टे्रशन) का भी छात्र रह चुका है। पीयूष गुरुवार सुबह अपने पिता को यह कहकर घर से निकला कि वह एमपी नगर में इंटरव्यू देने जा रहा है। दोपहर करीब 3 बजे पीयूष को उसके भाई अंकुश ने फोन लगाया तो उसका मोबाइल बंद आया। रात तक भी जब पीयूष नहीं लौटा तो अंकुश ने भाई के दोस्त अनिल को फोन किया। अंकुश ने अपने कुछ दोस्तों के साथ रात में भी भाई को ढूंढा, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। सुबह करीब सात बजे अंकुश जब भाई की गुमशुदगी दर्ज कराने पिपलानी थाने पहुंचा, तब वहां वायरलेस सेट पर संदेश प्रसारित हुआ कि गोविंदपुरा के मेहता मार्केट में पुराना नगर के पास पन्नी में लिपटी हुई किसी की लाश मिली है। अंकुश ने वहां जाकर लाश की शिनाख्त पीयूष के रूप में की। पीयूष के हाथ की दो अंगुलियों के बीच उसका सिम कार्ड भी पुलिस ने बरामद किया है। उसकी जेब में रखा पर्स और उसमें रखे रुपए सुरक्षित थे।
नृशंसतापूर्वक मारा है उसे: पीयूष की लाश सबसे पहले किसी दरी में लपेटी गई, फिर उसे पीले रंग की पन्नी से बांधा गया। इसके बाद उस पर पीली साड़ी में लपेटकर उसे फेंका गया था। पीयूष का गला रेता गया था और उसके पांव घुटने के पास से कटे थे।
फफक कर रो पड़े पिता: पीयूष के पिता को बेटे की मौत की खबर देने की हिम्मत न तो छोटे बेटे में थी न ही उसके दोस्तों में। अंकुश का दोस्त अनिल उन्हें यह कहकर अपने साथ लाया कि वह थाने चल रहे हैं, वहां पीयूष की गुमशुदगी की रिपोर्ट कराएंगे। इसके बाद वह उन्हें मेहता मार्केट के पास सीधे वहां ले आया, जहां पीयूष की लाश पड़ी थी। वहां छोटे बेटे अंकुश को बिलखते देख पिता महेन्द्र को समझने में देर न लगी कि पन्नी में लिपटी लाश बेटे की है। जैसे ही उन्होंने पन्नी की ओर देखा, वे फफक कर रो पड़े।
Date: 12-02-2011 Time: 11:06:15

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