मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से मप्र में 26 गर्भवतियों की मौत

स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से मप्र में 26 गर्भवतियों की मौत : रिपोर्ट

भोपाल 23 फरवरी 2011। मध्य प्रदेश के जनजाति बहुल जिले बड़वानी में स्वास्थ्य सुविधाओं में भेदभाव हो रहा है, यही कारण है कि यहां नौ माह के दौरान काल के गाल में समाईं 26 गर्भवती महिलाओं में से 23 महिलाएं (81 प्रतिशत) जनजाति वर्ग की हैं। गैर सरकारी संगठनों के जांच प्रतिवेदन ने मंगलवार को यह खुलासा किया है।
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष अप्रैल से दिसम्बर के दौरान बड़वानी में 26 गर्भवती महिलाओं की मौत हुई है। इनमें से नौ संस्थागत प्रसव के मामले हैं। इन मौतों की हकीकत जानने के लिए राष्ट्रीय जनस्वास्थ्य अभियान, राष्ट्रमंडल व समा की ओर से एक जांच दल बनाया गया, जिसमें स्वास्थ्य एवं पोषाहार विशेषज्ञ डा. शुभ्राश्री, सरोजनी एन. और रेणु खन्ना शामिल थीं।
जांच दल ने विभिन्न चिकित्सा केंद्रों का भ्रमण करने के अलावा मौत का शिकार बनी महिलाओं के परिजनों से बातचीत की। इसी दौरान कई अन्य गर्भवती महिलाओं ने स्वास्थ्य की जानकारी हासिल की।
भोपाल में सार्वजनिक की गई जांच दल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इतनी बड़ी संख्या में जनजाति वर्ग की गर्भवती महिलाओं की मौत साफ तौर पर स्वास्थ्य सेवाओं में जाति व वर्ग के भेदभाव की ओर इशारा करती है।
जांच दल ने पाया है कि गर्भावस्था की जांच व स्वास्थ्य सेवाएं बेहद कमजोर हैं। वास्तव में ये सेवाएं टिटनेस ऑक्साइड इंजेक्शन तक ही सीमित होकर रह गई है। गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोलियां तक नहीं मिलीं। वहीं अन्य गर्भवती महिलाएं खून की कमी (एनीमिया) की समस्या से जूझ रही हैं। क्षेत्र में जटिल प्रसव व आपातकालीन उपचार की व्यवस्था भी नहीं है।
जांच दल का मानना है कि गर्भवती महिलाओं के मामले में प्रशासन की ओर से लापरवाही बरती गई है और मातृ-मृत्यु की समीक्षा तक नहीं की गई है। दल ने सरकार को अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिए हैं कि वह स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में प्रशासन की जवाबदाही तय करे तथा ढांचागत सुधार के साथ आम लोगों में विश्वास पैदा करने के प्रयास करे।

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