सोमवार, 17 जनवरी 2011
स्वयंसेवकों की कदमताल,25 हजार से अधिक स्वयंसेवक शामिल
देवास. पुष्पगिरि पहाड़ी पर रविवार सुबह 10.50 बजे संतों के सान्निध्य में ध्वजारोहण के साथ पंचकल्याणक महोत्सव की शुरुआत हुई। आचार्यो व मुनियों के सान्निध्य में दक्षिण भारत से आए पंडितों के मंत्रोच्चर से पुष्पगिरि तीर्थ गुंज उठा। महोत्सव की शुरुआत में घटयात्रा निकाली गई।
सुबह साढ़े पांच बजे से ही पुष्पगिरि तीर्थ पर श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। सुबह साढ़े पांच से 6.15 बजे तक प्रतिक्रमण हुआ जिसमें आचार्य पुष्पदंत सागरजी महाराज, आचार्य गुप्तीनंदजी व आचार्य कुमुदनंदजी के सान्निध्य में 40 मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक व ब्रrाचारी ने प्रतिक्रमण किया। इसके बाद जिनाराधना, गुर्वाज्ञा आचार्य निमंत्रण हुआ।
सुबह करीब 10 बजे पदमप्रभु दिगंबर जैन मंदिर से घटयात्रा शुरू हुई। इसमें 9 विभिन्न अलंकारों से सजे हाथियों पर यजमान इंद्र-इंद्राणी के रूप में विराजित थे। पीछे महिलाएं सिर पर कलश रखकर चल रही थीं। उनके पीछे पुष्पगिरि दिग्विजय यात्रा रथ था।
इस बीच प्रतिष्ठाचार्य अजीत शास्त्री एवं सहयोगियों के मार्गदर्शन में पुष्पगिरि पहाडी के मध्य में ध्वजारोहण पूजन हुआ। इस दौरान एक तरफ से घटयात्रा का प्रवेश और दूसरी तरफ से आचार्य पुष्पदंत सागरजी के साथ श्रीसंघ का आगमन हुआ। इसके साथ पूरी पहाड़ी ऊर्जा से भर गई और जयघोष गूंजने लगे।
भोपाल के प्रदीप जैन ने सभी आचार्यो व मुनियों के सान्निध्य व हजारों लोगों की उपस्थिति में 10.50 मिनट पर ध्वजारोहण किया। इसके साथ दक्षिण भारतीय वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियों के बीच मंत्रोच्चर गुंज रहे थे।
ध्वजा रोहण बाद 11.50 बजे सभा पंडाल का आचार्यश्री ने मुनिसंघ की उपस्थिती में शुद्धिकरण कर फीता काटकर उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि के रूप में सांसद सज्जनसिंह वर्मा उपसिथत रहे। इसके बाद आचार्य श्री पुष्पदंतसागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित किया।
दोपहर में सकलीकरण इंद्र प्रतिष्ठा,जाप्यारंभ,याग मंडल,पूजा विधा,शेष याग मंडल विधान हुए। शाम को आरती-भक्ति, शास्त्र सभा हुई। रात में संजय महाजन एंड पार्टी ने भजनों की मनमोहक प्रस्तुति दी।
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