बुधवार, 26 जनवरी 2011

1040 करोड़ रुपये, मध्यप्रदेश पारेषण हानियों में देश में दूसरे स्थान पर

1040 करोड़ रुपये, मध्यप्रदेश पारेषण हानियों में देश में दूसरे स्थान पर
25 जनवरी 2011। मध्यप्रदेश विद्युत पारेषण कम्पनी द्वारा विद्युत उत्पादन गृह से बिजली ट्रांसमिट करने के लिये जापान के सहयोग से प्रदेश के 34 स्थानों पर विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण किया जायेगा। इसके लिये जापान इंटरनेशनल कार्पोरेशन एजेंसी, जायका योजना के तहत एक हजार 40 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त की गई है। इससे जहां विद्युत नेटवर्क के वोल्टेज में और सुधार होगा वहीं अति उच्च दाब लाइनें तथा उपकेन्द्र से विद्युत ट्रांसमिट करने से विद्युत की हानि भी कम होगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2002-03 में पारेषण हानियां 7.93 प्रतिशत तक थीं, जिसे वर्तमान में कम कर 4.08 प्रतिशत पर लाया गया है। इससे मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कम्पनी को देश में दूसरे स्थान पर पहुंचने का गौरव प्राप्त हुआ है।
जायका योजना से प्राप्त ऋण से 220 के.व्ही. के उपकेन्द्र जिन स्थानों पर स्थापित किये जाना है, उनमें शाजापुर, ग्वालियर, दतिया, मुगलियाछाप (भोपाल), धार, गोराबाजार, (जबलपुर), अनूपपुर तथा जुल्वानिया (बड़वानी) शामिल हैं।
इसी प्रकार उपरोक्त 220 के.व्ही. की लाइनों का वोल्टेज कम करते हुए वितरण नेटवर्क तक पहुंचाने के लिये कुल 26 जिन 132 के.व्ही. उपकेन्द्रों का निर्माण किया जायेगा उनमें हस्तिनापुर (ग्वालियर), रूनाह (भोपाल), खुरई, बुधेरा (टीकमगढ़), सीतामऊ, बिछुआ (छिन्दवाड़ा), बैहर, गुना, इंदौर में दो नम्बर बरोठा, देवास, बड़वानी, शंकरगढ़ (देवास बायपास), आमला, खिरकिया, शाहगंज, बड़ौदा (श्योपुरकलां), सीधी, राहतगंज (सागर), तेजगढ़ (दमोह), छतरपुर, राऊ, टीकमगढ़, बटियागढ़ (दमोह), सतवास (देवास) तथा सोहागपुर में उपकेन्द्र स्थापित किये जायेंगे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2002-03 में विद्युत की अधिकतम आपूर्ति 4587 मेगावॉट थी जो अब बढ़कर 7786 मेगावॉट तक पहुंच चुकी है। इसे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिये ट्रांसमिशन लाइन बनाई गईं। इसके लिये एडीबी से दो हजार 500 करोड़ रुपये का ऋण ट्रांसमिशन कम्पनी द्वारा लिया गया। वर्तमान में पॉवर फायनेंस कार्पोरेशन से एक हजार 123 करोड़ रुपये का ऋण लेकर विभिन्न स्थानों पर अति उच्च दाब उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। आगामी दो वर्षों में विद्युत की उपलब्धता करीब पांच हजार मेगावॉट बढ़ाने का कार्यक्रम भी है। इसे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिये ट्रांसमिशन तथा वितरण नेटवर्क की आवश्यकता होगी। वितरण नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण के लिये प्रदेश की तीनों वितरण कम्पनियों द्वारा लगभग पांच हजार करोड़ रुपये की फीडर विभक्तिकरण योजना तथा दो हजार 500 करोड़ रुपये की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत निर्माण कार्य चल रहे हैं।
Date: 25-01-2011

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