सोमवार, 24 जनवरी 2011

बुंदेलखण्ड की पान की खेती पर कहर, 100 करोड़ रुपये की फसल चौपट


बुंदेलखण्ड की पान की खेती पर कहर, 100 करोड़ रुपये की फसल चौपट
भोपाल 24 जनवरी 2011। पिछले कई वर्षो से प्रकृति की मार झेल रही बुंदेलखण्ड की पान की खेती पर एक बार फिर पाले ने कहर बरपाया है। इस बार 50 से 100 करोड़ रुपये की फसल चौपट हो गई है और 25 हजार किसान परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
बुंदेलखण्ड मे आने वाले मध्य प्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ जिले और उत्तर प्रदेश का महोबा जिला पान की खेती के लिए दुनिया में जाना जाता है। यहां के पान की मांग पाकिस्तान से लेकर दूसरे कई देशों तक में है। अब यही पान संकट में है।
पिछले पांच वर्षो से यह खेती कभी सूखे, कभी ओलावृष्टि और तो कभी पाले से नुकसान उठा रही है। इस बार भी यही कुछ हुआ और शीतलहर ने लगभग 25 हजार हेक्टेयर में की गई पान की खेती को बुरी तरह प्रभावित किया है। पाला 50 से 100 करोड़ रुपये की फसल निगल गया है। छतरपुर जिले की महाराजपुर तहसील के तहसीलदार ए. वी. एस. गुर्जर का कहना है कि उन्होंने सर्वेक्षण में पाया है कि पान की शत-प्रतिशत फसल पाले से चौपट हो गई है।
जिलाधिकारी के निर्देश पर सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया है और राहत राशि का वितरण भी जल्दी शुरु हो जाएगा। वहीं पान कृषक जगदीश चौरसिया कहते हैं कि पान की खेती कभी फायदे का धंधा हुआ करता था, मगर अब घाटे का सौदा होता जा रहा है। इस बार पाले ने फिर तबाही मचाई है और किसान को संकट में डाल दिया है। पान किसान लगातार मुसीबतों से घिरता जा रहा है और यही कारण है कि लगातार हो रहे नुकसान के चलते बहुत किसानों ने तो इस खेती तक से तौबा कर ली है।
चैरसिया के मुताबिक बुंदेलखण्ड में लगभग 50 हजार हेक्टेयर में पान की खेती होती थी, परंतु पिछले कई वर्षो में हुए लगातार नुकसान के कारण पान की खेती का क्षेत्र घटकर आधा रह गया है। इसकी वजह लगातार नुकसान होना और सरकार की ओर से पर्याप्त राहत न मिलना है।

Date: 24-01-2011 Time: 12:11:26

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