चंडीगढ़। पेरोल पर छूटने वाले अपराधियों हर क्षण सैटेलाइट यानी उपग्रह के जरिए हरियाणा पुलिस की नजर में रहेंगे। क्योंकि करनाल पुलिस अब हाईटेक होने जा रही है। जेल से बाहर जाते समय उनकी कलाई में एक जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) इक्यूपमेंट बांध दिया जाएगा, जोकि सेटेलाइट के जरिए उनकी पोजीशन बताता रहेगा। अप्रैल 2011 में यह यंत्र लगाना शुरू कर दिया जाएगा। इस संबंध में कानून में जरूरी संशोधन के लिए हरियाणा पुलिस ने सरकार से अनुरोध भी किया है।
दरअसल, हरियाणा पुलिस इस बात को लेकर परेशान थी कि पेरोल पर छूट कर जाने वाले बहुत से कैदी वापस लौटते ही नहीं हैं । कई ऐसे भी है जो पेरोल अवधि के दौरान गंभीर वारदातों को अंजाम देते हैं और फिर वापस जेल लौट जाते हैं। लिहाजा इस समस्या से निपटने के लिए उसने जीपीएस अपनाने का फैसला किया है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार जीपीएस इक्यूपमेंट को कैदी अगर जेल से बाहर निकलने के बाद उतार देगा तो उसे पकड़े जाने के बाद फिर से पेरोल नहीं मिल सकेगा। साथ ही अच्छे चाल चलन के आधार पर सजा में मिलने वाली छूट सहित बाकी सुविधाएं भी छिन जाएंगी। जीपीएस इक्यूपमेंट का एक कैदी का एक दिन का खर्च एक रुपए होगा। प्रदेश में हर साल करीब 6500 कैदी पेरोल पर जाते हैं।
पुलिस विभाग ने इस पर खर्च होने वाली रकम के लिए बजट प्रस्तानव भेज दिया है, जिसे जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है। पेरोल पर जाने वाले हर कैदी के हाथ में जीपीएस बांधा जाएगा। इसे बांधकर रखना जरूरी होगा। इस सिस्टम की मदद से कैदी की सेटेलाइट से पोजिशन का पता चलता रहेगा। यदि कैदी इसे उतार देता है तो पुलिस को उसका पता चल जाएगा और पुलिस उसे ढूढऩे का प्रयास शुरू कर देगी।
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