भोपाल/दिल्ली. भोपाल गैस कांड की 26वीं बरसी पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बताया जा रहा है कि याचिका पुनर्विचार के लिए दायर की गई है, जिसमें साढ़े 5 हजार करोड़ की मांग डाउ कैमिकल प्रबंधन से की गई है। सूत्रों के मुताबिक इस राशि में से 3 हजार करोड़ का उपयोग मलबा हटाने के लिए किया जाएगा।
वह काली रात: गौरतलब है 2-3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड कारखाने से गैस रिसने से भोपाल में मौत का तांडव मच गया था। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक अब तक 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौते हो चुकी हैं।
इसी साल 7 जून को आए फैसले में आरोपियों को दोषी ठहराते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई गई थी, सभी आरोपी हाथोंहाथ जमानत पर रिहा भी हो गए। मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन अभी भी फरार है। इस फैसले के खिलाफ देशभर में आंदोलन का ज्वार उठा जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने कानूनी लड़ाई और मुआवजे को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
सवाल जो आज भी जिंदा हैं:
एंडरसन क्या यूं ही आजाद रहेगा?
अब इस बात की संभावनाएं क्षीण है कि एंडरसन को उसके किए की सजा मिल सकेगी। प्रत्यर्पण सहित कई कानूनी बाधाएं एंडरसन के हक में जाती हैं।
कार्बाइड कारखाने के घातक रसायनों का निपटारा कैसे होगा?
केंद्र और राज्य सरकारों की प्राथमिकता सूची में यह काम अव्वल होना चाहिए। एनजीओ इसमें दबाव समूह की भूमिका निभा सकते हैं।
हादसे की गंभीरता और क्षति को देखते हुए मिला मुआवजा कुछ भी नहीं है। मुआवजे के साथ पीड़ितों के दीर्घकालिक पुनर्वास पर जोर होना चाहिए।
जैसा कि विशेषज्ञ एस सूर्यप्रकाश वरिष्ठ प्राध्यापक राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय भोपाल ने दैनिक भास्कर को बताया
साठ की उम्र पार चुकी गैस पीड़ित मुन्नी बाई के चेहरे पर यह बात सुन कर भी कोई चमक नहीं आती कि उन्हें मुआवजे के तौर पर 16 लाख रुपए मिलने वाले हैं। उनकी धुंधलाई आंखें उस वक्त नम हो जाती हैं, जब वे कहती हैं कि ‘जिनके लिए पैसे चाहिए थे वे तो अब दुनिया में ही नहीं हैं।’
गैस प्रभावित वार्ड क्रमांक 11 (टीला जमालपुरा) की निवासी मुन्नी बाई (काल्पनिक नाम) की दुनिया में अब पैसा नहीं अकेलापन बड़ी समस्या है। जहरीली गैस ने उनके दो बच्चों और पति की जिंदगी छीन ली। मुआवजे के तौर पर अब तक उन्हें दो लाख रुपए मिले हैं, लेकिन इस बार उन्हें 16 लाख रुपए का मुआवजा मिलने वाला है।
और भी हैं मुन्नी बाई- समाज के निम्न वर्ग से आने वाले ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिन्हें इस बार परिवार के एकमात्र वारिस के रूप में छह लाख रुपए से लेकर 32 लाख रुपए तक का मुआवजा मिलेगा। इस मुआवजे ने बुजुर्गो के लिए हालात मुश्किल कर दिए हैं।
परिवार में किसी सदस्य के न होने से अब नाते-रिश्तेदारों का जमघट उन्हें घेरने लगा है। लाखों रुपए की मुआवजा राशि ने उनकी सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। वार्ड क्रमांक 13 (रंभा नगर) के निवासी मुन्ने खां की कहानी भी कुछ इसी तरह है। पत्नी और दो बेटों को गैस ने निगल लिया। जिंदगी की सांझ में अब 24 लाख का मुआवजा उन्हें मिलने वाला है। दूर के रिश्तेदार हालचाल पूछने लगे हैं।
सामाजिक समस्या-गैस राहत कल्याण आयुक्त कार्यालय के प्रभारी रजिस्ट्रार बीबी श्रीवास्तव मानते हैं कि यह एक गंभीर समस्या है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले एक 65 वर्षीय वृद्ध महिला उनसे मिली, जिसे 32 लाख रुपए मुआवजा मिलने वाला है। परिवार में कोई नहीं है और उसकी खुद की भी जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ- वरिष्ठ मनोविज्ञानी प्रोफेसर उदय जैन कहते हैं कि हमारे तंत्र में बुजुर्गो और बेसहारा लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे बुजुर्गो को चिह्न्ति करते हुए उनके पुनर्वास की योजना सरकार को बनानी चाहिए।
15 दिसंबर से मुआवजा वितरण- इस महीने की 15 तारीख से मुआवजा वितरण की शुरूआत हो सकती है। नए कल्याण आयुक्त जस्टिस राजेंद्र मेनन दस दिसंबर के बाद पदभार ग्रहण करेंगे। इसके बाद ही यह प्रक्रिया आरंभ होगी।
गौरतलब है कि पिछली बार पांच लाख 74 हजार से अधिक गैस पीड़ितों को मुआवजा मिला था। लेकिन इस बार 48 हजार से अधिक गैस पीड़ित ही मुआवजे के पात्र हैं।
मुआवजे का गणित:
5295 मृत्यु के कुल मामले
10 लाख कुल मुआवजा मिला
1500 लोग हैं जिनका वारिस नहीं
6-32 लाख तक मुआवजा
गैस राहत मुआवजे से वंचित बीस वार्डो को भी मुआवजा दिए जाने के मामले में राजनेता समेत गैस पीड़ित संगठन एकमत नहीं हैं। इस मामले में कांग्रेस विधायक आरिफ अकील काफी मुखर हैं तो गैस राहत मंत्री बाबूलाल गौर ग्रुप आफ मिनिस्टर्स के समक्ष 20 वार्डो को मुआवजा दिलाने की पैरवी कर चुके हैं।
गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने 20 वार्डो के रहवासियों का पक्ष लिया है। विधायक श्री अकील का कहना है कि शेष 20 वार्डो के लोगों को मुआवजा दिलाने का मतलब है कि 36 वार्डो के वास्तविक गैस पीड़ितों के अधिकारों का हनन करना। उनका कहना है कि मुआवजा 36 वार्डो में ही बंटना चाहिए।
जहरीली गैस कांड संघर्ष मोर्चा के संयोजक आलोकप्रताप सिंह का कहना है कि शेष 20 वार्डो के लोग गैस पीड़ित भले न हों, पर गैस प्रभावित तो हैं ही। इन्हें 36 वार्डो के लोगों के मुआवजे को क्षति पहुंचाए बगैर मुआवजा दिया जाना चाहिए। यह मुआवजा राशि पच्चीस से पचास हजार के बीच तक हो सकती है।
गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार का कहना है कि शेष 20 वार्डो के करीब चार लाख लोगों को भी क्लेम फार्म भरने का मौका दिया गया था। तब दो चरणों में यह फार्म भरे भी गए थे।
इन सभी को दावा अदालतों में हादसे की रात भोपाल में रहने के साथ ही अपने इलाज के पर्चो व मिक से संबंधित संभावित बीमारियों की जांच रिपोर्ट पेश करना थीं। तब शेष 20 वार्डो के ज्यादातर लोगों द्वारा पेश दावों को दावा अदालतों ने मेडिकल आधार पर गैस प्रभावित नहीं माना था।
उनका कहना है कि शेष 20 वार्ड तो दूर, केंद्र सरकार ने 36 वार्डो के कई गैस पीड़ितों तक को साजिश कर मुआवजे के हक से वंचित कर दिया है। कई अन्य संगठनों का कहना है कि सरकार यदि मुआवजे से वंचित वार्डो के लोगों को मुआवजा दिलाना चाहेगी तो उसे दो हजार करोड़ रुपए की जरूरत और होगी
भोपालx गैस त्रासदी मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर क्यूरेटिव पिटीशन पर जनवरी के अंतिम सप्ताह में सुनवाई संभावित है। 7 जून 2009 को भोपाल के तत्कालीन सीजेएम मोहन पी तिवारी ने भोपाल गैसकांड के आरोपी केशव महेंद्रा सहित सात आरोपियों को दो साल की जेल और एक लाख एक हजार 750 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
अदालत ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड पर भी पांच लाख रुपए का जुर्माना किया था। सीजेएम के इस फैसले के खिलाफ सीबीआई की अपील और एक रिवीजन सत्र न्यायाधीश सुभाष काकड़े की अदालत में पेश की गई थी। सत्र न्यायाधीश की अदालत में पेश अपील को प्रारंभिक सुनवाई के बाद सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था।
सत्र न्यायाधीश की अदालत में अपील और रिवीजन पेश होने के बाद अब तक आधा दर्जन तारीख लग चुकी है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 फरवरी 2011 की तारीख तय की गई है। वहीं सीबीआई ने गैस त्रासदी मामले में फैसला आने के बाद सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन (सुधार याचिका) लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई पर लेते हुए आरोपियों को उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी किए हैं। अगली सुनवाई जनवरी 2011 के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना
भादवि की धारा 304-ए (गैर इरादतन हत्या ) के मामले में केशव महेंद्रा, विजय गोखले, किशोर कामदार, जे मुकुंद, एसपी चौधरी, केवी शेट्टी, एसआई कुरैशी को दो साल की जेल और एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसी धारा में यूनियन कार्बाइड इंडिया लि. पर 5 लाख का जुर्माना किया गया।
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