गुरुवार, 30 सितंबर 2010

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले मेंतीनों जजों ने एक बात स्पष्ट कही है कि विवादित जगह ही राम जन्मभूमिहै। उन्होंने एक मत से यह भी माना कि विवाद

अयोध्या. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले मेंतीनों जजों ने एक बात स्पष्ट कही है कि विवादित जगह ही राम जन्मभूमिहै। उन्होंने एक मत से यह भी माना कि विवादित जगह पर बाबर ने विवादास्पद निर्माण करवाया। यहां 22-23 दिसंबर 1949 की रात कोराम लला की मूर्तियां स्थापित कर दी गईं थीं। कोर्ट के अनुसार राम लला वहीं स्थापित रहेंगे।

तीनों जजों में अंतिम फैसले को लेकर कुछ मतभेद था। जहां दोन्यायाधीशों ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े कीविवादित जगह पर मालिकाना हक जताने वाली याचिका खारिज कर दींवहीं तीसरे ने विवादित जगह को राम लला का जन्मस्थान तो माना लेकिनयह भी कहा कि चूंकि यहां पर 300 सालों से मस्जिद थी इसलिए यहांकी एक तिहाई जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दे दी जाए।

इसके अलावा उन्होंने एक तिहाई जमीन राम लला और बाबरी मस्जिद के पास ही बने साता रसोई जैसे मंदिर सहित शेष एक तिहाई निर्मोही अखाड़े को देने के आदेश दिए।

इस बेंच ने अपना फैसला मुख्य रूप से भारतीय पुरातत्व सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की खुदाई की रिपोर्ट के आधार पर दिया। इसमें एएसआई ने पाया था कि बाबरी मस्जिद की अपनी नींव नहीं थी। उसे किसी विशाल इमारत को गिराकर बनाया गया था।

इसके अलावा सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा समय सीमा के बाद दायर करने के लिए भी खारिज किया गया। वक्फ बोर्ड ने इस मामले में बाबरी मस्जिदके अंदर से मूर्तियां हटाने की अपील 1960 में दायर की थी जबकि मूर्तियां 1949 में रखी गईं थीं। याने मूर्तियां रखने के 12 साल बाद अपील की गई। 1960 में समय की सीमा 6 साल थी, हालांकि अब इसे बढ़ाकर 12 साल कर दिया गया है।

जस्टिस सुधीर अग्रवाल के फैसले की मुख्य बातें-

-1) विवादास्पद स्थान के अंतर्गत केंद्रीय गुंबद के दायरे में आना वाला क्षेत्र भगवान राम का जन्म स्थान है, जैसा की हिंदू धर्मावलंबी सोचते हैं।-

2) विवादास्पद स्थान को हमेशा मस्जिद की तरह माना गया और वहां मुस्लिमों ने नमाज पढ़ी। लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि यह बाबर के समय 1528 में बनाई गई थी। -

3) दूसरे सबूतों के अभाव में यह कहना मुश्किल है कि विवादास्पद निर्माण कब किया गया। लेकिन यह स्पष्ट है कि यह अवध क्षेत्र में जोसेफ तिफंथलेर के आने के पहले याने 1766 के पहले बनाया गया।-

4) यह स्पष्ट है कि विवादास्पद स्थल पर निर्माण हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर बनाया गया है। -



5) यहां विवादास्पद क्षेत्र में मूर्तियां 22 और 23 दिसंबर 1949 के दरमियानी रात को रखी गईं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें