बुधवार, 4 अगस्त 2010

मप्र राज्य कर्मचारी संघ स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के कर्मचारियों

भोपाल। अपनी पचीस सूत्रीय मांगों को लेकर मंत्रालय पर प्रदर्शन कर रहे मप्र राज्य कर्मचारी संघ स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के कर्मचारियों को जेल भेज दिया गया। बाद में मुचलके पर उन्हें छोड़ा गया। प्रशासन ने यह कदम मंत्रालय के आसपास धारा 144 लागू होने के चलते उठाया। शाम को कर्मचारियों ने स्वास्थ्य राज्य मंत्री महेन्द्र हार्डिया से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। प्रकोष्ठ के बैनर तले प्रदेश भर के करीब तीन हजार कर्मचारी सतपुड़ा के पहले चिनार पार्क के पास इकट्ठे हुए थे। यहा से दो पंक्तियों में कर्मचारी दोपहर एक बजे के करीब सतपुड़ा भवन व मंत्रालय के बीच तिराहे पर एकत्र हुए थे। यहां करीब दो घंटे तक कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी व सभा की। सभा को भारतीय मजदूर संघ व राज्य कर्मचारी संघ स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के नेताओं ने संबोधित किया। इस दौरान प्रशासन ने उन्हें प्रदर्शन नहीं करने की हिदायत दी, क्योंकि वहां पर धारा 144 लागू होने के साथ केबिनेट की बैठक चल रही थी। प्रशासन ने ऐहतियातन यहां पर भारी पुलिस बल तैनात किया था। सीएसपी ने प्रतिनिधिमंडल को मुख्य सचिव से चर्चा के लिए भी बुलाया, लेकिन कर्मचारी इसके लिए राजी नहीं थे। पुलिस ने करीब पांच सौ कर्मचारियों को बज्र वाहन से जेल पहुंचा दिया। यहां से इन कर्मचारियों को लगभग शाम 4 बजे मुचलके पर छोड़ा गया। अमूमन ढाई हजार कर्मचारी मंत्रालय के पास ही मौजूद रहे। शाम पांच बजे इन कर्मचारियों की सभा चिनार पार्क में हुई। सभा को मप्र राज्य कर्मचारी संघ स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के प्रदेश महामंत्री रमेश शर्मा, संयोजक सुरेन्द्र सिंह कौरव, सलाहकार ओपी तिवारी, भारतीय मजदूर संघ के संगठन मंत्री ज्ञान तिवारी, महामंत्री श्री शेखावत सहित अन्य नेताओं ने संबोधित किया।

अन्य संगठनों ने की प्रशासन की निंदा

प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों की गिरफ्तारी व उनके साथ झूमाझटकी की अनेक कर्मचारी संगठनों ने निंदा की है। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष अरुण द्विवेदी व मप्र सचिवालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों पर लाठीचार्ज व गिरफ्तारी बेहद गलत है।

ये हैं मांगे

-मलेरिया लिंक वर्कर का फिर से वेतन बहाल कर उन्हें नियमित किया जाए।

-फार्माशिष्टो, कम्पाउंडरों व ड्रेसर की वेतन विसंगति दूर की जाए और इनका वेतनमान बढ़ाया जाए।

-कम्पाउंडरों को फार्माशिष्ट का नाम दिया जाए।

-नर्सिग स्टाफ की भर्ती की जाए।

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