सोमवार, 11 मार्च 2013

चुनावों से पहले पार्टी के भीतर के मतभेद मिट जायेंगे : सिंधिया


भोपाल 10 मार्च 2013। केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीद है कि चुनावी रणभेरी बजने से पहले उनकी पार्टी के भीतर के तमाम मतभेद सुलझा लिये जायेंगे।
मध्यप्रदेश में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस भले ही अंदरूनी रस्साकशी के पुराने मर्ज से जूझती नजर आ रही हो, लेकिन राज्य में कांग्रेस के भविष्य के रूप में देखे जा रहे केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीद है कि चुनावी रणभेरी बजने से पहले उनकी पार्टी के भीतर के तमाम मतभेद सुलझा लिये जायेंगे और भाजपा को सूबे में सत्ता की ‘हैट्रिक’ बनाने से रोकने के लिये सभी कांग्रेसी क्षत्रप एक मंच पर आ जायेंगे।
सिंधिया ने खास बातचीत के दौरान कहा, ‘उम्मीद से ही दुनिया चल रही है। मुझे पूरी उम्मीद है कि चुनाव से पहले ये मतभेद खत्म हो जायेंगे।’
नयी पीढ़ी के कांग्रेस नेता ने जब कल नौ मार्च को यह बात कही, तब वह पश्चिम मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल निमाड़ अंचल के लगभग 18 घंटे के मैराथन दौरे पर थे जहां कांग्रेस अपना खोया जनाधार पाने की मुश्किल चुनौती का सामना कर रही है। इस दौरे में सिंधिया के काफिले में करीब 20 कांग्रेस विधायक और पार्टी के तीन सांसद शामिल थे।
केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश में कांग्रेस के भीतरी मतभेदों को लेकर किये गये सवाल पर कहा, ‘मैं चाहता हूं कि ये तमाम मतभेद खत्म होने चाहिये. लेकिन ये मतभेद तभी खत्म हो पायेंगे, जब हम साफ दिल से और सबके साथ संवाद बनाकर कार्य करें।’ 
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘प्रदेश में कांग्रेस का आम कार्यकर्ता चाहता है कि छल-कपट की राजनीति बंद हो और सचाई के साथ उसका सम्मान किया जाये।’ 
अपनी लगातार बढ़ती सक्रियता और प्रभाव के कारण सूबे में कांग्रेस के नये झंडाबरदार के रूप में देखे जा रहे सिंधिया हालांकि बहुत पहले ही कह चुके हैं कि अगला विधानसभा चुनाव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया की अगुवाई में ही लड़ा जायेगा। फिर भी राज्य में कांग्रेस के भीतर नेतृत्व परिवर्तन का मुद्दा वक्त-बेवक्त सिर उठाता रहा है।
राज्य के विधानसभा चुनावों में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. लेकिन प्रदेश के सभी कांग्रेसी क्षत्रप एक मंच पर दिखायी नहीं पडने के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री थोड़ी तल्खी के साथ छूटते ही कहते हैं, ‘यह जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष की है। इस बारे में प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका होनी चाहिये. आपको इस सिलसिले में उनसे सवाल करना चाहिये।’ 
बहरहाल, कांग्रेस के मतभेदों को लेकर कुरेदे जाने पर उन्होंने संतुलित प्रतिक्रिया में कहा, ‘राजनीति में व्यक्ति को साफ दिल से काम करना चाहिये. मैं अपने सियासी जीवन में अब तक इसी धारणा के साथ काम कर रहा हूं. मैं किसी और के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।’ 
42 वर्षीय कांग्रेस नेता ने एक सवाल पर कहा, ‘मैं सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री हूं। लेकिन प्रदेश में पार्टी के कार्यकर्ता की भूमिका निभा रहा हूं और आगे भी यही भूमिका अदा करना चाहता हूं। मेरी कोई निजी अभिलाषा नहीं है।’ 
इसके अलावा, उन्होंने प्रदेश की भाजपा सरकार को सड़क, बिजली और पानी के मोचरें पर नाकाम करार देते हुए कहा कि साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सूबे के सियासी परिदृश्य में लौट चुके ये मुद्दे राज्य सरकार पर भारी पडेंगे।
उन्होंने कहा, ‘प्रदेश की जनता में कांग्रेस के प्रति रुझान है। जनता अब सूबे में कांग्रेस की सरकार बनते देखना चाहती है. हम प्रदेश में अगली सरकार विकास के लक्ष्य के साथ बनाना चाहते हैं।’ 




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