गुरुवार, 7 मार्च 2013

ग्रामीण क्षेत्र की कालोनियों में भी आश्रय शुल्क देना होगा

भोपाल 6 मार्च 2013। नगरीय क्षेत्र के बाहर बनने वाली कॉलोनियों पर भी अब शहरी क्षेत्र की तरह कॉलोनाइजर एक्ट के नियम लागू होंगे। इन कॉलोनियों में भी निम्न आय वर्ग के लिए ईडब्ल्यूएस तथा एलआईजी मकान बनाने का प्रावधान होगा और इसके एवज में बिल्डर तथा कॉलोनाइजर को आश्रय शुल्क लेने का प्रावधान भी किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बुधवार को विधानसभा स्थित समिति कक्ष में हुई कैबिनेट की बैठक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मप्र पंचायत एवं ग्राम सुधार अधिनियम में संशोधन के लिए लाए गए प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलोनी विकसित करने के लिए बिल्डर को एसडीओ के बजाए राज्य शासन द्वारा नियुक्त विहित प्राधिकारी की अनुमति लेनी होगी।
यह विहित प्राधिकारी कलेक्टर, कमिश्नर या उनके द्वारा नियुक्त अधिकारी हो सकता है। शहर से बाहर बनने वाली कॉलोनियों में भी अब ईडब्ल्यूएस तथा एलआईजी मकान बनाने पड़ेंगे। अभी तक नगरीय क्षेत्रों में लागू इस नियम के चलते कॉलोनाइजर नगरीय निकास की सीमा से बाहर कॉलोनी बना लेते थे, जिनमें निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए भवन का प्रावधान नहीं होता था। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में भी अब उन्हें इनके लिए निर्धारित सीमा में आवास रखने होंगे। इसके एवज में आश्रय शुल्क जमा कराने का प्रावधान भी जोड़ा गया है। कैबिनेट ने ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध निर्माण पर सजा की अवधि बढ़ाने के साथ शहरी क्षेत्र की ही तरह दंडात्मक प्रावधान किए हैं।
तृतीय अनुपूरक बजट को मंजूरी :
कैबिनेट ने बुधवार को चालू वित्तीय वर्ष के तृतीय अनुपूरक बजट को मंजूरी दी है। इसमें लगभग 25002 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है। कैबिनेट ने मप्र विद्युत कंपनी तथा पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ा कर 80 करने के साथ ही मप्र गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन सहित कुछ अन्य प्रस्तावों पर भी कैबिनेट ने विचार कर निर्णय लिया। केबिनेट में किसानों कसे फ्लेट रेट पर बिजली देने का मामला डिफर हो गया।

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