मंगलवार, 5 मार्च 2013

अब सरकारी सेवक पन्द्रह साल की पेंशन एकमुश्त ले सकेंगे


भोपाल 5 मार्च 2013। अब प्रदेश के सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी पन्द्रह साल तक की पेंशन एकमुश्त ले सकेंगे। ऐसा हुआ है वित्त विभाग के अधीन बने सोलह साल पहले बने मप्र सिविल सेवा पेंशन का कम्युटेशन नियम,1996 में संशोधन के जरिये।
पहले उक्त नियमों में प्रावधान था कि सरकारी सेवक सेवानिवृत्ति के बाद 70 साल की उम्र तक की ली प्रति माह ली जाने वाली पेंशन का एक तिहाई हिस्सा एकमुश्त ले सकेगा। उदाहरणार्थ यदि साठ साल की उम्र में रिटायर होने के बाद सरकारी सेवक की प्रति माह पेंशन पन्द्रह हजार रुपये है तो वह एक तिहाई हिस्सा यानी पांच हजार रुपये को कम्युट करा सकता है। पांच हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से एक साल में साठ हजार रुपये और सत्तर साल की उम्र तक यानी दस साल में यह राशि 6 लाख रुपये होती है तथा इस राशि 6 लाख की राशि को वह एकमुश्त ले सकता है। इस दौरान उसे सत्तर साल की उम्र तक 15 हजार रुपये के स्थान पर 10 हजार रुपये प्रति माह ही पेंशन मिलेगी। सत्तर साल की उम्र के बाद उसकी वही पन्द्रह हजार रुपये प्रति माह पेंशन रीस्टोर हो जायेगी यानी वही 15 हजार रुपये पेंशन मिलने लगेगी।
लेकिन अब राज्य सरकार ने नियमों में संशोधन कर दिया है। अब सत्तर साल के बजाये सेवानिवृत्ति के बाद पन्द्रह साल तक की पेंशन का एक तिहाई भाग सरकारी सेवक कम्युट करा सकेगा यानी पन्द्रह साल की एक तिहाई पेंशन एक मुश्त ले सकेगा। इससे राज्य के सभी सरकारी सेवकों को लाभ मिलेगा। दरअसल राज्य सरकार के कई विभागों में रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष कर दी गई है। इसलिये 70 साल की उम्र के स्थान पर पन्द्रह साल अवधि तय कर दी गई है।
केन्द्रीय मूल्यांकन समिति में अब ज्वाईंट आईजी रहेंगे :
इधर राज्य के वाणिज्यिक कर विभाग ने कार्यालय पंजीयक एवं मुद्रांक के अधीन बने मप्र बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिध्दान्तों का बनाया जाना और उनका पुनरीक्षण नियम,2000 में संशोधन कर केन्द्रीय मूल्यांकन समिति के संयोजक संयुक्त महानिरीक्षक पंजीयन को बना दिया है। पहले डीआईजी पंजीयन इस समिति के संयोजक हुआ करते थे। ऐसा कार्यालय पंजीयन एवं मुद्रांक में आईजी के नीचे एवं डीआईजी से ऊपर संयुक्त आईजी का पद निर्मित किये जाने के कारण किया गया है। इसी प्रकार अब डीआईजी पंजीयन या वरिष्ठ जिला पंजीयक या जिला पंजीयक इस समिति के सदस्य होंगे। ज्ञातव्य है कि यह समिति शहरों की अचल सम्पत्ति का हर मूल्यांकन करती है जिसके अनुसार सम्पत्तियों के पंजीयन एवं मुद्रांक की दरें निर्धारित होती हैं।

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